संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की नई रिपोर्ट एक गंभीर चेतावनी देती है: 1.5°C के जलवायु लक्ष्य को हासिल करना अब भी तकनीकी रूप से संभव है, लेकिन इसके लिए G20 देशों को ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को आधा करना होगा. "नो मोर हॉट एयर... प्लीज़!" शीर्षक वाली यह रिपोर्ट नीति-निर्माताओं को बताती है कि अगर वर्तमान नीतियां जारी रहीं तो सदी के अंत तक तापमान में 3.1°C की वृद्धि हो सकती है.
यूएनईपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान जलवायु प्रतिज्ञाएँ (NDCs) पर्याप्त नहीं हैं. इसका अनुमान है कि भले ही ये प्रतिज्ञाएँ पूरी तरह लागू हो जाएं, तापमान में 2.6-2.8°C तक की वृद्धि होगी. 1.5°C के लक्ष्य को बनाए रखने के लिए, सभी देशों को 2030 तक उत्सर्जन में 42% और 2035 तक 57% कटौती करनी होगी. अगले वर्ष ब्राजील में होने वाले COP30 शिखर सम्मेलन से पहले नए NDC प्रस्तुत किए जाएंगे, और यूएनईपी का कहना है कि ये केवल बयानबाजी न बनें, बल्कि इसमें त्वरित और मापने योग्य कार्रवाई होनी चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, “उत्सर्जन अंतर कोई काल्पनिक विचार नहीं है. बढ़ते उत्सर्जन और लगातार हो रही जलवायु आपदाओं के बीच सीधा संबंध है. आज की यूएनईपी की रिपोर्ट स्पष्ट करती है: हम आग से खेल रहे हैं, और अब और समय नहीं है.”
यूएनईपी की कार्यकारी निदेशक इन्गर एंडरसन का कहना है, “1.5°C का लक्ष्य जीवनरेखा पर है. हमें एक अभूतपूर्व वैश्विक लामबंदी की आवश्यकता है, अन्यथा हम इसे खो देंगे.” उन्होंने यह भी कहा कि एक न्यायपूर्ण वैश्विक प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए मजबूत अंतरराष्ट्रीय समर्थन और जलवायु वित्तीय सहायता जरूरी होगी, विशेष रूप से G20 देशों के लिए, जो 77% उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं और जिन्हें तेजी से कार्रवाई करनी होगी.
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अक्षय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर और पवन ऊर्जा, 2035 तक आवश्यक उत्सर्जन कटौती में लगभग 38% योगदान दे सकती है. हालांकि, इसके लिए वैश्विक निवेश में छह गुना वृद्धि और सभी देशों में एक समग्र सरकारी दृष्टिकोण आवश्यक होगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-