वाशिंगटन। डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के नए बॉस बन गए हैं. भारत और डोनाल्ड ट्रम्प के रिश्ते काफी अच्छे हैं. ट्रंप और मोदी, दोनों एक दूसरे को गुड फ्रेंड बताते हैं. ट्रंप के फैसले भी भारत के लिए मुफीद बैठे हैं. उनके राष्ट्रपति बनने से डोनाल्ड ट्रंप की सरकार में भारत और अमेरिका के कारोबार पर भी असर होगा. दोनों देशों के साथ डिफेंस रिलेशन भी स्ट्रांग हो सकते हैं.
एक बार चुनाव हारने के बाद फिर से राष्ट्रपति बनने वाले वह दूसरे अमेरिकी नेता बन गए हैं, उनसे पहले ग्रोवर क्लीवलैंड ने 1888 में चुनाव हारने के बाद 1892 में दोबारा जीत हासिल की थी. इस ऐतिहासिक जीत पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर ट्रंप को बधाई दी और एक बार फिर साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर इस बातचीत की जानकारी दी, जिसमें उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने का संकल्प व्यक्त किया.
पीएम मोदी ने एक्स पर किए पोस्ट में लिखा, "मेरे मित्र, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बहुत अच्छी बातचीत हुई. उन्हें उनकी शानदार जीत पर बधाई दी. प्रौद्योगिकी, रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और कई अन्य क्षेत्रों में भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक बार फिर मिलकर काम करने की उम्मीद है."
डोनाल्ड ट्रंप की जीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी उत्सुकता से देखा जा रहा है. भारत, ब्रिटेन सहित कई देशों ने उन्हें इस जीत पर बधाइयां दी हैं. ट्रंप की वापसी से कई देश रणनीतिक साझेदारी और वैश्विक मुद्दों पर एक नए दृष्टिकोण की उम्मीद कर रहे हैं. भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में पिछले कुछ वर्षों में नई मजबूती आई है. रक्षा, व्यापार, स्वास्थ्य, और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों का सहयोग बढ़ता जा रहा है. ट्रंप के पिछले कार्यकाल में भी भारत-अमेरिका संबंधों में कई बड़े बदलाव देखे गए थे, और अब एक बार फिर इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने की उम्मीद है.
कारोबार पर असर
अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. अमेरिका से भारत का वार्षिक कारोबार 190 अरब डॉलर से अधिक है.ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप चीन के बाद अब भारत और अन्य देशों पर भी शुल्क लगा सकते हैं.ट्रंप ने पहले भारत को बड़ा शुल्क दुरुपयोगकर्ता कहा था और अक्टूबर, 2020 में भारत को टैरिफ किंग करार दिया था. उन्होंने कहा कि इन टिप्पणियों से पता चलता है कि ट्रंप का दूसरा कार्यकाल कठिन व्यापार वार्ता ला सकता है.श्रीवास्तव ने कहा, उनका अमेरिका प्रथम एजेंडा संभवतः सुरक्षात्मक उपायों पर जोर देगा, जैसे कि भारतीय वस्तुओं पर पारस्परिक शुल्क, जो संभवतः वाहन, शराब, कपड़ा और फार्मा जैसे प्रमुख भारतीय निर्यात के लिए बाधाएं बढ़ा सकता है. ये बढ़ोतरी अमेरिका में भारतीय उत्पादों को कम प्रतिस्पर्धी बना सकती है, जिससे इन क्षेत्रों में राजस्व प्रभावित हो सकता है.
हालांकि, उन्होंने कहा कि चीन के प्रति अमेरिका का सख्त रुख भारतीय निर्यातकों के लिए नये अवसर पैदा कर सकता है.दोनों देशों के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में 120 अरब डॉलर रहा, जबकि 2022-23 में यह 129.4 अरब डॉलर था.अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ बिस्वजीत धर ने कहा कि ट्रंप विभिन्न क्षेत्रों में शुल्क बढ़ाएंगे क्योंकि उन्हें एमएजीए (अमेरिका को फिर से महान बनाओ) के अपने आह्वान का पालन करना है.
इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर पर असर
धर ने कहा, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों पर इसका असर पड़ सकता है.उन्होंने कहा कि जैसा कि पहले ट्रंप ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी) से बाहर निकल चुके हैं, आईपीईएफ (समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचा) पर काले बादल छा सकते हैं. 14 देशों के इस ब्लॉक को अमेरिका और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों द्वारा 23 मई, 2022 को टोक्यो में शुरू किया गया था. भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, हम उम्मीद कर सकते हैं कि ट्रंप अधिक संतुलित व्यापार के लिए दबाव डालेंगे. लेकिन शुल्क को लेकर व्यापार विवाद उत्पन्न हो सकते हैं.सहाय ने कहा कि संरक्षणवाद की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए कड़े आव्रजन नियमों के साथ यह प्रवृत्ति जारी रहेगी.