आजकल के युवा हुक-अप, सिचुएशनशिप, हार्ड लॉन्चिंग, लव बॉम्बिंग जैसे रिलेशनशिप के जमाने में आज के यंगस्टर्स शादी को भी अपने हिसाब से बिना किसी कमिटमेंट के करना चाहते हैं. इस तरह की शादी को फ्रेंडशिप मैरिज कहते हैं. युवा अपने दोस्त से शादी करते हैं लेकिन उनके बीच ना प्यार होता है और ना ही शारीरिक संबंध. इस तरह की शादी जापान में खूब ट्रेंड कर रही है लेकिन धीरे-धीरे यह भारत में भी पॉपुलर होने लगी है.
फ्रेंडशिप मैरिज में पार्टनर रूममेट्स की तरह घर का सारा खर्चा आधा-आधा बांटते हैं. इसमें दोनों को किसी दूसरे व्यक्ति से रोमांटिक रिलेशनशिप रखने की पूरी आजादी होती है. इस तरह के लोग अगर बच्चा चाहते हैं तो वह आईवीएफ या सरोगेसी से बेबी भी करते हैं. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार इस तरह की शादी ज्यादातर LGBTQ कम्युनिटी से जुड़े लोग कर रहे हैं.
ऐसे में हमारे देश में फ्रेंडशिप मैरिज की कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन ऐसा हो रहा है. अब ज्यादातर लोग बच्चा नहीं चाहते, ऐसे में वह फ्रेंडशिप मैरिज करना पसंद कर रहे हैं क्योंकि उनके ऊपर किसी तरह का कोई दबाव नहीं रहता. ऐसे लोग बच्चे से ज्यादा पेट्स पालना पसंद करते हैं. वहीं हमारे समाज में आज भी LGBTQ कम्युनिटी को स्वीकार नहीं किया जाता. ऐसे में वह लोग भी फ्रेंडशिप मैरिज की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं.
शादी में हस्बैंड और वाइफ के बीच एक इमोशनल बॉन्डिंग होती है. एक परेशान होता है तो दूसरा संभालता है. एक बीमार होता है तो दूसरा उसका ख्याल रखता है. यह इमोशन उन्हें दिल से जोड़ते हैं और वह एक-दूसरे की इज्जत करने लगते हैं और प्यार भी हो जाता है. हर शादी में इमोशनल कनेक्शन जरूरी है लेकिन फ्रेंडशिप मैरिज में ऐसा कुछ नहीं होता जो शादी के लिए ठीक नहीं है.
सफल शादी के लिए कम्यूनिकेशन और इंटिमेसी बहुत जरूरी है. फ्रेंडशिप मैरिज में कम्यूनिकेशन तो होता है लेकिन इंटिमेसी नहीं. जिस शादी में इंटिमेसी नहीं होती, ऐसी शादी लंबे समय तक टिकनी मुश्किल होती है. फ्रेंडशिप मैरिज एक पार्टनरशिप की तरह होती है इसलिए हस्बैंड-वाइफ इंटिमेट नहीं होना चाहते. लेकिन उनके बीच रिस्पेक्ट है और आपसी सहमति है तो बिना इंटिमेसी के भी उनकी दोस्त से भरी शादी चल सकती है.
सबसे अच्छी बात यह होती है कि दोनों पहले से एक-दूसरे के बारे में सब कुछ जानते हैं इसलिए दोनों को झूठा दिखावा करने की जरूरत नहीं होती. वह पहले की तरह रह सकते हैं, उन्हें खुद को बदलने की जरूरत नहीं होती. दोस्त के साथ वह खुलकर हंस सकते हैं और अपने मन की बात बता सकते हैं. दोस्ती में अच्छी अंडरस्टैंडिंग होती है. इस तरह की शादी में दो लोग खुली किताब की तरह होते हैं इसलिए वह एक-दूसरे को जज नहीं करते और ना ही उन्हें खुद की असल पहचान को छुपाना पड़ता है. वह अपनी सेक्शुएलिटी और रिलेशनशिप को लेकर ओपन होते हैं.
भारत में ऐसे कई कपल हैं जिन्होंने केवल परिवार के दबाव में शादी की और वह अपनी ख्वाहिशों को दबाकर यह रिश्ता चला रहे हैं. हमारे समाज में शादी एक त्योहार है लेकिन उम्र, परिवार और समाज के दबाव में कई बार लड़का और लड़की से उनके मन की बात नहीं पूछी जाती और अगर बेटा या बेटी में से किसी का कोई अफेयर हो तो परिवार की इज्जत बचाने के लिए लव मैरिज करने की बजाय जबरदस्ती उनकी शादी कहीं और करा दी जाती है. वहीं अगर कोई युवा लेस्बियन, गे, क्वीर, बायसेक्शुअल हो तो वह खुद को और परेशान कर लेते हैं और डिप्रेशन तक के शिकार हो सकते हैं. ऐसे युवा शादी के बंधन में बंधते हैं तो वह ना खुद खुश रहते हैं और ना ही अपने पार्टनर को खुश रख पाते हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-