नई दिल्ली. जेट एयरवेज अब कभी शुरु नहीं हो पाएगी, सुप्रीम कोर्ट ने आज जेट एयरवेज को लिक्विडेट करने का आदेश दे दिया. लिक्विडेशन का मतलब है किसी कंपनी की परिसंपत्तियों को जब्त कर उन्हें बेचने से मिलने वाली रकम का उपयोग कर उसके कर्ज और देनदारियों को चुकाने में करना.
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के फैसले को पलट दिया. एनसीएलएटी ने मार्च में समाधान योजना (एयरलाइंस को संकट से उबारने) के तहत जेट एयरवेज का मालिकाना हक जालान&कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को देने का फैसला सुनाया था. गौरतलब है कि आर्थिक संकट के कारण जेट एयरवेज का ऑपरेशन 2019 से बंद है. उस वक्त एयरवेज पर कई बैंको का 4783 करोड़ का कर्ज था.
सबसे ज्यादा लोन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने दिया था. एयरलाइंस के घाटे में जाने के बाद बैंकों ने दिवालिया की कार्यवाही शुरू की थी. समाधान योजना के तहत जेकेसी को मालिकाना हक मिलना था. इसके खिलाफ बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि लिक्विडेशन इसके ऋ णदाताओं व कर्मचारियों के हित में होगा. क्योंकि जालान-कालरॉक कंसोर्टियम मंजूरी के 5 साल बाद भी समाधान योजना को लागू करने में विफल रहा है.
कोर्ट ने अजीब व चिंताजनक परिस्थिति के मद्देनजर जेट एयरवेज के लिक्विडेशन का आदेश देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल किया. गौरतलब है कि समाधान योजना के अनुसार जालान-कलरॉक कंसोर्टियम को 4783 करोड़ रुपए का भुगतान करना था. पहली किश्त में 350 करोड़ रुपए देने थे. जिसमें कंसोर्टियम 200 करोड़ रुपए ही दे पाई थी.
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला व न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एनसीएलटी मुंबई को लिक्विडेटर की नियुक्ति का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका मे एसबीआई सहित कई बैंकों का कहना था कि यह कंसोर्टियम एयरलाइन के अधिग्रहण के लिए तय की गई शर्तों को पूरा करने में विफल रहा. अब एयरलाइन को रिवाइव करने की स्थिति में नहीं है. कंसोर्टियम ने समाधान योजना के तहत 350 करोड़ में से केवल 200 करोड़ जमा किए थे.
जेकेसी एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट व अंतरराष्ट्रीय अधिकार हासिल करने सहित अन्य महत्वपूर्ण दायित्वों को पूरा करने में विफल रहा. जेट एयरवेज को रिवाइव करने में लंबी देरी के कारण एयरलाइन को अपनी संपत्ति के मेंटेनेंस के लिए हर महीने 22 करोड़ का नुकसान हो रहा था. इसके अलावाए जेट एयरवेज पर अपने लेनदारों का लगभग 7500 करोड़ बकाया है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई थी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-