ज्योतिष में रत्न शास्त्र का विशेष महत्व है. कुंडली में गुरु ग्रह को अनुकूल बनाने के लिए पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है. गुरु ग्रह के अनुकूल होने पर व्यक्ति को तरक्की मिलती है और जीवन में ऊँचाई प्राप्त होती है. आइए जानते हैं पुखराज पहनने के लाभ और इसे कैसे और कब धारण किया जा सकता है.
पुखराज को ज्योतिष में गुरु ग्रह, यानी बृहस्पति का रत्न माना गया है. गुरु को मजबूत करने के लिए पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है. ज्योतिष के अनुसार, गुरु का संबंध शिक्षक, पिता, संतान, धार्मिक कार्य, स्वर्ण, और दान-पुण्य से होता है. गुरु की स्थिति मजबूत होने पर जीवन में सफलता प्राप्त होती है, समाज में मान-सम्मान मिलता है, और आर्थिक समृद्धि होती है. जिन लोगों की कुंडली में गुरु कमजोर स्थिति में हो, वे सोने की अंगूठी में पुखराज पहन सकते हैं. इससे ज्ञान और करियर में सफलता मिलती है.
पुखराज कम से कम 5 या 7 कैरेट का पहनना चाहिए या अपने वजन के अनुसार भी पहना जा सकता है. इसे सोने की अंगूठी में पहनना उचित होता है, लेकिन बजट की कमी होने पर पंचधातु में भी पहन सकते हैं. पुखराज को गुरुवार के दिन धारण करना सबसे शुभ माना जाता है. इसे पहनने से पहले स्नान करें और अंगूठी को दूध और गंगाजल से पवित्र करें. दाएं हाथ की तर्जनी उंगली में इसे धारण करें और गुरु के बीज मंत्र का जाप करें. इससे शीघ्र ही शुभ प्रभाव दिखने लगते हैं.
ज्योतिष के अनुसार, सभी राशि के लोग हर रत्न धारण नहीं कर सकते. पुखराज को धनु और मीन राशि के जातकों के लिए श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि इनका स्वामी गुरु होता है. ये जातक मेहनती और साहसी होते हैं और पुखराज धारण करने से उन्हें बहुत लाभ मिलता है. इसके अलावा, तुला लग्न के जातक भी पुखराज पहन सकते हैं क्योंकि गुरु इनकी राशि में पंचम भाव का स्वामी होता है. यदि पुखराज धारण करते हैं तो हीरा नहीं पहनना चाहिए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-