*18 नवम्बर 2024 सोमवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 07:55)*
हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को, विशेषकर संकष्टी चतुर्थी को, भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व होता है. शिव पुराण के अनुसार, इस दिन गणेश जी की पूजा करने से सभी विघ्न दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
क्यों मनाई जाती है संकष्टी चतुर्थी?
संकष्टी चतुर्थी का नाम ही बताता है कि इस दिन संकटों से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि गणेश जी विघ्नहर्ता हैं. वे अपने भक्तों के सभी संकट दूर करते हैं.
पूजा का विधि
सुबह की पूजा: सुबह गणेश जी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाकर धूप-दीप करें और गणेश जी को प्रसाद चढ़ाएं.
रात की पूजा: रात में चंद्रमा को अर्घ्य दें और यह मंत्र बोलें: *ॐ गं गणपते नमः. *ॐ सोमाय नमः.
विशेष मंत्र
यदि आप किसी विशेष समस्या से परेशान हैं, तो आप ये छह मंत्र रोजाना जाप कर सकते हैं:
ॐ सुमुखाय नमः: (सुंदर मुख वाले)
ॐ दुर्मुखाय नमः: (दुष्टों का नाश करने वाले)
ॐ मोदाय नमः: (खुशी देने वाले)
ॐ प्रमोदाय नमः: (आनंद देने वाले)
ॐ अविघ्नाय नमः: (विघ्न दूर करने वाले)
ॐ विघ्नकरत्र्येय नमः: (विघ्न करने वालों का नाश करने वाले)
क्यों हैं ये मंत्र प्रभावी?
ये मंत्र गणेश जी के विभिन्न रूपों का ध्यान करते हैं. जैसे, 'सुमुखाय नमः' मंत्र गणेश जी के सुंदर और आकर्षक रूप का ध्यान करता है, जबकि 'दुर्मुखाय नमः' मंत्र उनके क्रोधित रूप का ध्यान करता है जो दुष्टों का नाश करता है.
निष्कर्ष
संकष्टी चतुर्थी का दिन भगवान गणेश के आशीर्वाद पाने का एक विशेष अवसर है. इस दिन की पूजा और मंत्र जाप से न केवल आपके सभी संकट दूर होंगे बल्कि आपके जीवन में सुख-समृद्धि भी आएगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-