बिलासपुर. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ट्रेनों में गांजा तस्करी के मामले में शासकीय रेल पुलिस (जीआरपी) के एंटी क्राइम यूनिट के चार आरक्षकों को बर्खास्त किया गया है. डीजीपी की एटीएस टीम ने 250 ट्रेनों में रेकी के बाद चारों को पकड़ा था. जेल में बंद आरक्षक मन्नू प्रजापति, सौरभ नागवंशी, संतोष राठौर और लक्ष्मण गाइन पर पद का दुरुपयोग करने के आरोप में कार्रवाई की गई है. गांजा तस्करों से मिलकर ये अवैध कारोबार करने लगे थे.
जांच में आरोपी पुलिसकर्मियों के रिश्तेदार सहित 45 बैंक अकाउंट की जांच में करीब 15 करोड़ रुपए के लेनदेन के रिकॉर्ड मिले हैं. इसमें जीआरपी के बड़े अफसरों के भी शामिल होने की आशंका है. हालांकि, जांच में उनके नाम को उजागर नहीं किया गया है.
दरअसल, जीआरपी के चारों आरक्षक एसपी के एंटी क्राइम यूनिट में थे, जिन्हें ट्रेनों में गांजा, नशीली टेबलेट्स, शराब तस्करी सहित अवैध हथियार परिवहन करने वालों पर कार्रवाई की जिम्मेदारी दी गई थी. अफसरों से चारों को अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्रवाई करने की खुली छूट थी. टीम में शामिल पुलिसकर्मी रायगढ़ से लेकर रायपुर और राजनांदगांव तक जाकर जांच करते थे. आरक्षकों को टीआई के बजाए सीधे बड़े अफसरों को रिपोर्ट करने की भी छूट थी. इसका फायदा उठाकर ये सभी खुद गांजा तस्करों से मिलकर कारोबार कर रहे थे.
250 ट्रेनों की रेकी के बाद पकड़ा
मामले में शिकायत के बाद डीजीपी की एटीएस टीम ने 250 ट्रेनों में रेकी के बाद चारों को पकड़ा था. 23 अक्टूबर को बिलासपुर जीआरपी में 10-10 किलोग्राम गांजा के दो प्रकरण दर्ज हुए थे. पकड़े गए दो आरोपियों से एटीएस ने पूछताछ की, तो चारों आरक्षक के नाम सामने आए थे. पुलिस मुख्यालय के आदेश पर बिलासपुर साइबर सेल की टीम ने 27 अक्टूबर की देर रात सिरगिट्टी से उन्हें पकड़ा था. रायपुर रेल डीएसपी ने मामले की विभागीय जांच की, जिसमें जब्त गांजा को योगेश सोंधिया और श्यामधर के माध्यम से बेचने की बात कही गई.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-