प्रदीप द्विवेदी
महाराष्ट्र और हरियाणा, दोनों ही राज्यों में बीजेपी की जीत ने सबको चौंकाया है, लेकिन इसे लेकर पहले भी लिखा गया था कि संघ की ताकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
कांग्रेस सहित तमाम दलों के पास ऐसे समर्पित कार्यकर्ताओं का भारी अभाव है, जो हर हाल में पार्टी के लिए समर्पित होकर सक्रिय रहें.
नरेंद्र मोदी की जो ताकत नजर आ रही थी, वह दरअसल संघ की ताकत है.
याद रहे.... पहले अटल-आडवाणी भी इसी तरह पॉलिटिकल हीरो बने हुए थे, लेकिन बाद में आडवाणी किनारे हो गए, आडवाणी की भी यही गलती थी कि उन्होंने संघ की लक्ष्मण-रेखा पार की थी और अब यही काम मोदी टीम ने भी किया है, लिहाजा.... गहराई से देखें तो महाराष्ट्र और हरियाणा में संघ की ताकत की जीत है.
ना हरियाणा में और ना ही महाराष्ट्र में, दोनों में से किसी भी राज्य में नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ा गया.
यही नहीं, चुनाव प्रचार में भी उन्हें अपेक्षाकृत कम समय दिया गया.
दरअसल.... जब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह बयान दिया था कि- अब बीजेपी को संघ की जरूरत नहीं है, उसके बाद ही बीजेपी के लोकसभा चुनाव का चुनावी समीकरण गड़बड़ा गया और वह लोकसभा में अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर पाई.
हकीकत तो यह है कि- 2014 में नरेंद्र मोदी की जो पॉलिटिकल पोजीशन थी, वह अब नहीं है, उनकी जगह योगी आदित्यनाथ ने ले ली है, बीजेपी समर्थकों के लिए योगी नए पॉलिटिकल हीरो बनकर उभरे हैं.
अब नरेंद्र मोदी के फेस पर भाजपा समर्थकों को सक्रिय करना आसान नहीं है.
सर्वे मीडिया सहित विपक्ष के कई नेता भी इन 50 सालों में संघ ने जो ताकत बढ़ाई है, उसे ठीक से पहचान नहीं पाए हैं, समझ नहीं पाए हैं.
राजस्थान, मध्य प्रदेश हरियाणा, गुजरात उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में संघ बेहद असरदार है और उसके समर्पित कार्यकर्ता हार को जीत में बदल सकते हैं, इसलिए ऐसे राज्यों में जहां संघ अपेक्षाकृत प्रभावी नहीं है, वहां तो कांग्रेस सहित अन्य दलों को कामयाबी मिल सकती है, लेकिन जहां संघ की पकड़ मजबूत है, वहां कांग्रेस सहित तमाम दलों के लिए जीत दर्ज करवाना आसान नहीं है!
नरेंद्र मोदी की सियासी पारी समाप्त? संघ की ताकत से महाराष्ट्र और हरियाणा में बीजेपी जीती!!
प्रेषित समय :19:34:52 PM / Mon, Nov 25th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर