नई दिल्ली. बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के अध्यक्ष चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी ने पूरे हिंदू समुदाय में हलचल मचा दी है. उनके खिलाफ आतंकवाद से जुड़े आरोप लगाए गए हैं, जो इस्कॉन जैसे शांति और भक्ति पर आधारित संगठन के लिए पूरी तरह से निराधार बताए जा रहे हैं.
सोमवार को ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तारी के बाद चिन्मय प्रभु को पुलिस की जासूसी शाखा के हवाले किया गया. इस घटना के बाद बांग्लादेश के विभिन्न जिलों में हिंदू समुदाय ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू किए, जो जल्द ही हिंसक झड़पों में बदल गए. इस्कॉन, Inc. ने भारत सरकार से अपील की है कि वह बांग्लादेश सरकार से बात कर चिन्मय कृष्ण दास की तत्काल रिहाई सुनिश्चित करे. संगठन ने स्पष्ट किया है कि इस्कॉन एक शांति-प्रिय भक्ति आंदोलन है और आतंकवाद जैसे गंभीर आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं.
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के विरोध में चटगांव और अन्य जिलों में शांतिपूर्ण रैलियों का आयोजन किया गया. लेकिन प्रदर्शन के दौरान कट्टरपंथी समूहों ने हिंदू समुदाय पर हमले शुरू कर दिए. चटगांव और शाहबाग में हुई झड़पों में 50 से अधिक हिंदू घायल हो गए.
ढाका के शाहबाग में एक शांतिपूर्ण सभा पर भीषण हमला किया गया, जिसमें चटगांव विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कुशाल बरन समेत कई लोग घायल हो गए. यह चिंता का विषय है कि इन हमलों के दौरान प्रशासन मूकदर्शक बना रहा और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए.