सारा ब्लेकली (Sara Blakely) नामक लड़की की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है. जब वे 27 साल की थीं, तब उन्होंने मात्र 5,000 डॉलर से खुद का बिजनेस शुरू किया और जब वे 41 बरस की हुईं, तब तक वे एक बिलियन डॉलर कंपनी खड़ी कर चुकी थीं. उनका नाम रईसों की लिस्ट में शुमार हो चुका था. सारा ब्लेकली ‘स्पैंक्स’ (Spanx) नामक एक ब्रांड की फाउंडर हैं. स्पैंक्स अमेरिका की एक कंपनी है, जो शेपवियर बनाने के लिए फेमस है. यह कंपनी शेपिंग ब्रीफ (Shaping Briefs), और लैगिंग्स के लिए प्रसिद्ध हुई. शेपवियर से मतलब है बॉडी को एक शेप में रखने वाले अंतर्वस्त्र. सारा ब्लेकली ने स्पैंक्स की शुरुआत 1998 में की थी. 1971 में जन्मी सारा ब्लेकली की उम्र इस समय केवल 27 वर्ष की थी. शायद उन्होंने भी कभी नहीं सोचा था कि उनकी कंपनी पहले ही साल धमाल कर देगी.
पहले ही साल में (1999 में) ‘स्पैंक्स’ ने 4 मिलियन डॉलर की सेल की. उसके बाद अमेरिका की प्रसिद्ध होस्ट और टीवी प्रोड्यूसर ओपरा विनफ्रे (Oprah Winfrey) ने स्पैंक्स को अपने वार्डरोब में शामिल किया तो तहलका मच गया. कंपनी की बिक्री बहुत तेजी से बढ़ी. यहां तक कि दुनिया का सबसे ज्यादा पैसा मैनेज करने वाली असेट मैनेजमेंट कंपनी ब्लैकस्टोन (Blackstone) भी स्पैंक्स को इग्नोर नहीं कर पाई. 2021 में ब्लैकस्टोर ने स्पैंक्स की अधिकतम हिस्सेदारी खरीदने के लिए 1.2 बिलियन डॉलर (लगभग 9,000 करोड़ रुपये) की पेशकश की. सारा ब्लेकली के सामने बहुत शानदार ऑफर था, जिसे वह ना नहीं कह पाईं.
सारा ब्लेकली ने इस डील को फिनिश किया और अपने सभी कर्मचारियों को एक शानदार तोहफा दिया. उन्हें ट्रिप के लिए 10,000 डॉलर और हवाई यात्रा के फर्स्ट क्लास टिकट दिए, ताकि वे भी एंजॉय कर पाएं. इसलिए सारा ब्लेकली को एक सोने का दिल रखने वाली बिजनेसवूमन के तौर पर भी जाना जाता है. सारा का जन्म फ्लोरिडा के क्लियरवॉटर में हुआ. उनके पिता वकील थे और मां एक कलाकार. बचपन से ही सारा में कुछ अलग करने का जज्बा था. हैलोवीन पर उन्होंने पड़ोस के बच्चों के लिए एक भूतिया घर बनाया और टिकट बेचकर कमाई की. लेकिन बचपन का यह जुनून असफलताओं के थपेड़ों से गुजरते हुए उन्हें कुछ बड़ा सिखाने वाला था. उनके पिता ने असफलता को लेकर एक अनोखी सोच सिखाई. वह डिनर टेबल पर सारा और उनके भाई से उनकी असफलताओं के बारे में पूछते और उनकी कोशिशों की तारीफ करते. सारा के शब्दों में, “मेरे लिए असफलता का मतलब कोशिश न करना बन गया, न कि परिणाम.” यही सोच उनके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाई.