नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने कार्यकाल की अंतिम मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में आम आदमी को राहत देने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। तीन दिनों तक चली इस बैठक में, शुक्रवार को घोषित निर्णयों के अनुसार, रेपो रेट में लगातार 11वीं बार कोई बदलाव नहीं किया गया। रेपो रेट 6.30% पर ही बरकरार रखा गया है। हालाँकि, महंगाई पर नियंत्रण और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कैश रिजर्व रेशियो (CRR) को 0.50% घटाकर 4% कर दिया गया है।
MPC की इस बैठक में, समिति के छह में से चार सदस्यों ने रेपो रेट को मौजूदा स्तर पर बनाए रखने का समर्थन किया। इसका सीधा मतलब यह है कि आम जनता को कर्ज पर कोई राहत नहीं मिलेगी और ईएमआई की राशि जस की तस बनी रहेगी। RBI ने कैश रिजर्व रेशियो (CRR) को 4.5% से घटाकर 4% कर दिया है। इससे बैंकों के पास लगभग 1.20 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उपलब्ध होगी, जिसका उपयोग वे अधिक कर्ज देने के लिए कर सकेंगे। इस फैसले से अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ेगी, जिससे खपत और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा।
बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौजूदा समय में महंगाई पर नियंत्रण सबसे बड़ी प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि तीसरी तिमाही में महंगाई में राहत मिलने की उम्मीद कम है, लेकिन चौथी तिमाही में इसमें गिरावट आ सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मौद्रिक नीति का रुख अब "न्यूट्रल" है, जिसका अर्थ है कि भविष्य में नीतिगत दरों में बदलाव अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखकर किया जाएगा।
सीआरआर कटौती का अर्थव्यवस्था पर असर
बैंकों को अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध होगी।
ज्यादा लोन बांटने की सुविधा मिलेगी।
खपत और मांग में इजाफा होगा।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को गति मिलेगी।
संपूर्ण अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज होगी।
रेपो रेट में बदलाव न होने से आम आदमी की उम्मीदों को झटका लगा है, लेकिन सीआरआर में कटौती से अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की कोशिश की गई है। अब ध्यान इस पर रहेगा कि आने वाले समय में महंगाई पर काबू पाने और विकास दर को बनाए रखने के लिए RBI क्या कदम उठाता है।