‘गदर 2’ की सफलता के बाद निर्देशक अनिल शर्मा ने एक बार फिर अपने बेटे उत्कर्ष शर्मा और सिमरत कौर की जोड़ी को बड़े पर्दे पर पेश किया है। इस बार उन्होंने फिल्म वनवास में एक भावनात्मक कहानी को पिरोया है। फिल्म में हास्य, टकराव, और माफी के भावों को खूबसूरती से उकेरा गया है। कहानी के केंद्र में नाना पाटेकर का किरदार है, जो दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब होता है। वनवास एक ऐसी फिल्म है जिसे पूरे परिवार के साथ देखा जा सकता है और यह अपने साथ एक गहरा संदेश भी लेकर आती है।
कहानी- फिल्म की कहानी दीपक त्यागी (नाना पाटेकर) नाम के एक बुजुर्ग पर आधारित है, जो अपने तीन शादीशुदा बेटों के साथ रहता है। उनकी पत्नी का देहांत हो चुका है, और अब उन्हें भूलने की बीमारी है। दीपक अपने घर को ट्रस्ट में बदलने की योजना बनाता है, लेकिन उनके बेटों और बहुओं को यह बात नागवार गुजरती है। योजना बनाकर वे दीपक को बनारस छोड़ देते हैं। अपनी कमजोर याददाश्त के कारण दीपक अपनी पत्नी और छोटे बेटों को खोजने की कोशिश करता है।
इस सफर में उनकी मुलाकात एक ठग वीरू (उत्कर्ष शर्मा) से होती है, जो दीपक से पीछा छुड़ाना चाहता है, लेकिन ऐसा नहीं कर पाता। आखिरकार क्या दीपक अपने घर लौट पाते हैं? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
अभिनय- नाना पाटेकर ने अपने शानदार अभिनय से फिल्म में जान डाल दी है। उनकी उपस्थिति इतनी प्रभावशाली है कि अन्य कलाकारों का प्रदर्शन उनके सामने फीका लगने लगता है। उत्कर्ष शर्मा और सिमरत कौर ने अपनी भूमिका के लिए मेहनत की है, लेकिन अभी उनके अभिनय में और सुधार की गुंजाइश है।
संगीत- ‘गदर 2’ में अपनी छाप छोड़ने के बाद मिथुन शर्मा ने इस फिल्म का संगीत दिया है। हालांकि, फिल्म के गाने उतने प्रभावशाली नहीं हैं और थोड़ी निराशा पैदा करते हैं। वनवास की कहानी भावनात्मक और संदेशपूर्ण है। हालांकि, डायलॉग डिलीवरी और संगीत पर और मेहनत की जा सकती थी। फिर भी, नाना पाटेकर के दमदार अभिनय के कारण यह फिल्म देखने लायक है।
रेटिंग: 3.5/5- वनवास एक ऐसी फिल्म है जो परिवार और रिश्तों के महत्व को दर्शाती है। यह एक अच्छा सिनेमाई अनुभव प्रदान करती है, खासकर नाना पाटेकर के प्रशंसकों के लिए।