अभिमनोज
इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना है कि.... यदि डीएम को किसी मंत्री से कोई शिकायत मिलती है, तो डीएम को उसे विनम्रतापूर्वक संबंधित विभाग के प्रबंध निदेशक या मुख्य अधिकारी को प्रेषित कर देना चाहिए, खुद को शूरवीर समझ कर कार्रवाई करने का फरमान नहीं देना चाहिए, मंत्री का आदेश डीएम को किसी भी स्वतंत्र विभाग के कामकाज में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देता है.
खबरों की मानें तो.... अदालत का कहना है कि- ब्रिटिश काल से ही जिले में कलक्टर अपनी हुकूमत कायम रखने का दावा करते रहे हैं, लेकिन, वह कलक्टर हैं, शूरवीर नहीं जो स्वतंत्र निगमों या विभागों पर अपना हुक्म चलाएं, डीएम राजस्व को छोड़ किसी अन्य स्वतंत्र विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ जांच कराने व निलंबित करने का फरमान नहीं सुना सकते हैं.
खबरें हैं कि.... यह सख्त टिप्पणी करके न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की अदालत ने बलिया के विद्युत वितरण खंड द्वितीय में तैनात इलेक्ट्रिशियन दुष्यंत कुमार राय के निलंबन पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी और सवेतन बहाल कर दिया है, यही नहीं, इस मामले में सरकार से दो सप्ताह में जवाबी हलफनामा भी मांगा है.
खबरों पर भरोसा करें तो.... इस मामले के प्रार्थी इलेक्ट्रिशियन दुष्यंत कुमार पर बिजली बिलों में हेराफेरी और फर्जी एफआईआर दर्ज करने की धमकी देकर जबरन वसूली का आरोप लगा था, जिसके बाद आयुष एवं खाद्य सुरक्षा विभाग के स्वतंत्र प्रभार मंत्री की शिकायत पर बलिया के डीएम ने सीडीओ से जांच कराई, इतना ही नहीं, प्रार्थी के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति भी कर दी, जिसके नतीजे में डीएम के आदेश पर आजमगढ़ के विद्युत विभाग मुख्य अभियंता ने प्रार्थी इलेक्ट्रिशियन दुष्यंत कुमार को 17 अक्तूबर 2024 को निलंबित कर दिया.
निलंबित प्रार्थी इलेक्ट्रिशियन दुष्यंत कुमार हाईकोर्ट पहुंचा, जहां उसके वकील ने दलील दी कि- निलंबन की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है और विद्युत विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ आदेश देना डीएम के अधिकार क्षेत्र में नहीं है.
इस पर अदालत ने प्रार्थी इलेक्ट्रिशियन दुष्यंत कुमार के निलंबन पर रोक लगाते हुए सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि- बेशक मंत्री और जनप्रतिनिधियों को न केवल विद्युत विभाग, वरन जिला मजिस्ट्रेट के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है, उनकी शिकायतों पर गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए, परन्तु यह ध्यान किसकी ओर से दिया जाएगा?
प्रथम दृष्टया तो डीएम को विद्युत वितरण निगम के मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, अगर किसी जनप्रतिनिधि की शिकायत पर किसी निगम के कर्मचारी या लोक सेवक के आचरण की जांच की जरूरत है, तो उसकी शिकायत संबंधित विभाग के सक्षम अनुशासनात्मक अधिकारी को प्रेषित की जानी चाहिए, स्वयं को शूरवीर समझ कर कार्रवाई करने का फरमान नहीं देना चाहिए, मंत्री का आदेश डीएम को किसी भी स्वतंत्र विभाग के कामकाज में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देता है!