नई दिल्ली. मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने इस सवाल पर कानूनी विवाद का निपटारा किया कि क्या वैवाहिक अधिकारों की फिर से बहाली का आदेश पाने वाला पति कानून के अनुसार पत्नी को भरण-पोषण देने से मुक्त हो जाता है, यदि उसकी पत्नी साथ रहने के आदेश का पालन करने और ससुराल लौटने से इनकार कर देती है.
पीठ ने कहा कि इस संबंध में कोई सख्त नियम नहीं हो सकता और यह अनिवार्य रूप से मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा. पीठ ने कहा कि यह प्रश्न कि क्या पत्नी की ओर से दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना के आदेश का अनुपालन न करना सीआरपीसी की धारा 125(4) के तहत उसे भरण-पोषण देने से इन्कार करने के लिए पर्याप्त होगा, इस पर कई हाईकोर्टों ने विचार किया है, लेकिन इस पर कोई सुसंगत दृष्टिकोण नहीं है क्योंकि उनके विचार भिन्न-भिन्न और विरोधाभासी थे.
पीठ ने कई फैसलों के विश्लेषण के बाद दिया फैसला
हाईकोर्टों और सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों का विश्लेषण करने के बाद पीठ ने कहा कि न्यायिक विचार की प्रधानता सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पत्नी के भरण-पोषण के अधिकार को बरकरार रखने और वैवाहिक जीवन की बहाली के लिए केवल एक आदेश पारित करने के पक्ष में है. पति के पक्ष में अधिकार और पत्नी की तरफ से उनका पालन न करना, अपने आप में धारा 125(4) सीआरपीसी के तहत अयोग्यता को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा.
पीठ ने कहा- कोई कठोर नियम नहीं हो सकता
पीठ ने कहा कि यह व्यक्तिगत मामले के तथ्यों पर निर्भर करेगा और उपलब्ध सामग्री तथा साक्ष्य के आधार पर यह तय करना होगा कि क्या पत्नी के पास ऐसे मामले के बावजूद अपने पति के साथ रहने से इन्कार करने का वैध और पर्याप्त कारण है. इस संबंध में कोई कठोर नियम नहीं हो सकता है और यह अनिवार्यत: प्रत्येक विशेष मामले में विशिष्ट तथ्यों तथा परिस्थितियों पर निर्भर होगा. किसी भी स्थिति में, पति के प्राप्त वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए आदेश और पत्नी की ओर से इसका पालन न करने से उसके भरण-पोषण के अधिकार या धारा 125(4) सीआरपीसी के तहत अयोग्यता की प्रयोज्यता का सीधे तौर पर निर्धारण नहीं होगा.
यह है मामला
पीठ ने झारखंड के एक अलग रह रहे जोड़े के मामले में यह आधिकारिक फैसला सुनाया. दंपती की शादी 1 मई, 2014 को हुई थी लेकिन दोनों अगस्त, 2015 में अलग हो गए. पति ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए रांची में पारिवारिक न्यायालय में याचिका दायर की और दावा किया कि उसकी पत्नी 21 अगस्त, 2015 को अपने वैवाहिक घर से चली गई और उसे वापस लाने के बार-बार प्रयासों के बावजूद वह वापस नहीं लौटी. पत्नी ने पारिवारिक न्यायालय के समक्ष अपने लिखित बयान में आरोप लगाया कि उसके पति ने उसे यातनाएं दीं और मानसिक पीड़ा दी तथा कार खरीदने के लिए 5 लाख रुपये दहेज की मांग की. उसने आरोप लगाया कि उसके पति के विवाहेतर संबंध थे और 1 जनवरी 2015 को उसका गर्भपात हो गया. पत्नी ने दावा किया कि वह इस शर्त पर ससुराल लौटने को तैयार है कि उसे घर में शौचालय का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए, क्योंकि उसे पहले ऐसा करने की अनुमति नहीं थी. साथ ही उसे एलपीजी का उपयोग करने की भी अनुमति दी जानी चाहिए. भोजन तैयार करने के लिए उसे लकड़ी और कोयले का उपयोग करना पड़ता था, इसलिए उसे चूल्हे का उपयोग करना पड़ता था.
पारिवारिक कोर्ट ने साथ रहने का दिया था आदेश
पारिवारिक कोर्ट ने 23 मार्च, 2022 को वैवाहिक अधिकारों की पुनर्स्थापना का आदेश दिया क्योंकि पति उसके साथ रहना चाहता था. हालांकि पत्नी ने आदेश मानने से इन्कार कर दिया और पारिवारिक कोर्ट में भरण-पोषण के लिए याचिका दायर की. कोर्ट ने पति को 10,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया. पति ने इस आदेश को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने पति के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि पत्नी को गुजारा भत्ता पाने का हक नहीं है. इस आदेश को पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को किया रद्द
पत्नी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को पति के निष्कर्षों को इतना महत्व नहीं देना चाहिए था. तथ्य यह है कि पत्नी को घर में शौचालय का उपयोग करने या वैवाहिक घर में खाना पकाने के लिए उचित सुविधाएं इस्तेमाल करने की इजाजत तक नहीं थी, जो तथ्य प्रतिपूर्ति कार्यवाही में स्वीकार किए गए, यह उसके साथ दुर्व्यवहार के संकेत हैं. इसलिए पत्नी की अपील को स्वीकार किया जाता है और झारखंड हाईकोर्ट के 4 अगस्त, 2023 को पारित निर्णय को निरस्त किया जाता है. शीर्ष अदालत ने कहा कि पारिवारिक कोर्ट के 15 फरवरी, 2022 के आदेश को बरकरार रखा जाता है तथा पति को अलग रह रही पत्नी को 10,000 रुपये देने का निर्देश दिया जाता है. गुजारा भत्ता भरण-पोषण का आवेदन दाखिल करने की तारीख 3 अगस्त, 2019 से देय होगा. भरण-पोषण का बकाया तीन बराबर किस्तों में भुगतान किया जाएगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-