कौन से ग्रह हैं जो आपको एक प्रसिद्ध वकील बना सकते

कौन से ग्रह हैं जो आपको एक प्रसिद्ध वकील बना सकते

प्रेषित समय :19:21:32 PM / Sun, Jan 12th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई सूत्र दिए हैं. इन सूत्रों की जानकारी रखने वाले जानकार इस बात का भी आकलन कर सकते हैं कि आपका कैरियर किस क्षेत्र में चमक सकता है. हम यहां विद्वानों से चर्चा के आधार पर बता रहे हैं कि वे कौन से ग्रह हैं जो आपको एक प्रसिद्ध वकील बना सकते हैं.

बुध बुद्धि तथा वाणी का स्वामी है और मंगल जोश, उत्साह, उत्तेजना, पराक्रम, इच्छा, तर्क शक्ति, शत्रु पर विजय, दृढ़ निश्चय, कोर्ट कचहरी के विवादों को निपटाने की शक्ति. शनि अत्यधिक परिश्रम, धैर्य, सही वक्त के इंतजार का कारक है. गुरू हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के वकील या जज कारक होता है तो राहु चतुरता का परिचायक है.

मंगल+बुध+गुरू - वकील.
मंगल+गुरु +सूर्य - कानून विभाग .
बुध+गुरू - वकील.

गुरु व बुध ग्रह : वकील बनने के लिए मानसिक ऊर्जा, तीव्र बुद्धि, शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता, वाक्पटुता के कारक गुरु व बुध ग्रह को देखा जाता है.गुरु ग्रह को न्याय का कारक है. करता गुरु ग्रह से प्रभाव से जातक न्यायाधीषादि जैसे उच्च पदों को प्राप्त करता है.

शनि को मजिस्ट्रेट या दण्डाधिकारी माना जाता है
गुरु, बुध व शनि :ग्रह और भाव बली होना चाहिए
शुक्र : धनी एवं सफल वकील .
राहु ग्रह : झूठे बयान ,कूटनीति पूर्ण व्यवहार,का कारक होता है.
मंगल ग्रह :साहसी होना चाहिए.
छठे भाव : कोर्ट-कचहरी, कानून व मुकद्दमे .
नवम भाव : न्याय का विचार.
द्वितीय भाव : वाक्पटुता,
पंचम भाव से बुद्धि.दशम भाव से व्यवसाय . ग्रह :बुध, गुरु , मंगल ,शनि, राहु. भाव : दूसरा, छठा, दशम, पंचम , एकादश,
द्वितीय, पंचम, षष्ठ, नवम भाव एकादश और इनके स्वामी व कारक का सम्बन्ध दषम भाव से होना चाहिए.
शनि का प्रभाव भी पंचम भाव/पंचमेश पर अच्छा होता है

गुरु :पंचम ,चतुर्थ, , सप्तम, दशम ,द्वितीय भाव में हो. पंचमेश, बुध, गुरु व राहु भी बली होना चाहिए. बुध और राहु का परस्पर संबंध हो ,पंचम और पंचमेश से संबंध .  लग्नेश :पंचम भाव ,पंचमेश भी पंचम, या लग्न से संबंध बनाता हो.

पंचमेश बलवान : संबंध गुरु, बुध, राहु तथा लग्नेश से हो.  ग्रह :दूसरे, पंचम तथा एकादश भावों से संबध.
फलादेश कैसे करते है :

- जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा.
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभ फल दायक होगा.
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है.
-त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं.
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं.
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं.
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं.
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं.
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं. 

कामयाबी योग :
कुंडली का पहला, दूसरा, चौथा, सातवा, नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी अपनी दशा और अंतर्दशा में जातक को कामयाबी प्रदान करते है.
सूर्य. चंद्रमा व बृहस्पति : उच्च पदाधिकारी बनाता है.
द्वितीय, षष्ठ एवं दशम्‌ भाव को अर्थ-त्रिकोण सूर्य की प्रधानता.
केंद्र में गुरु स्थित होने पर उच्च पदाधिकारी का पद प्राप्त होता है.

बाधा के योग :
भाव दूषित हो तो अशुभ फल देते है. 
ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों , तो काममे बाधा आती है |
लग्नेश बलों में कमजोर, पीड़ित, नीच, अस्त, पाप मध्य, 6,8,12वें भाव में ,तो भी बाधा आती है . 
लग्न कुंडली में जो भाव, भावेश व भाव कारक अच्छी स्थिति में हों, उस भाव के जीवन में अच्छे फल मिलेंगे और जो भाव, भावेश व भाव कारक अशुभ स्थिति में हों, उसके फल नहीं मिलेंगे.

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-