रिव्यू: इमरजेंसी को दर्शकों की मिली सराहना

रिव्यू: इमरजेंसी को दर्शकों की मिली सराहना

प्रेषित समय :12:20:42 PM / Fri, Jan 17th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

फिल्म इमरजेंसी, 1970 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौर पर आधारित है. हालांकि रिलीज से पहले ही यह फिल्म विवादों में है. कंगना रनौत की फिल्म को लेकर कांग्रेस ने पहले ही कई सवाल उठाए हैं, तो वहीं पंजाब में एसजीपीसी ने फिल्म को बैन करने की मांग उठाई है. कंगना रनौत के बारे में कई कुछ भी कहे, वो किसी के बारे में कुछ भी कहें लेकिन एक बात तो है कि एक्ट्रेस कमाल की है, लेकिन कमाल की एक्ट्रेस भी कई बार चूक जाती है और इमरजेंसी में यही हुआ है. 

कहानी- ये कहानी इमरजेंसी के दौर की है, और इसमें इंदिरा गांधी की पूरी कहानी दिखाई गई है, कैसे उन्होंने इमरजेंसी लगाई, देश में क्या हालात बने, कैसे फिर वो सत्ता से बाहर हुई, इमरजेंसी में उनके बेटे संजय गांधी का क्या रोल था, किस तरह से इंदिरा गांधी की हत्या हुई. इमरजेंसी की कहानी को इस पूरी फिल्म में समेटने की कोशिश की गई. 

यहां कुछ ऐसा नया नहीं दिखता, औऱ कुछ चीजों को तो इस तरह से दिखाया गया है कि जिन्हें उन चीजों के बारे में नहीं पत उन्हें समझ ही नहीं आएगा और उनके सिर के ऊपर से चीजें निकल जाएंगी. संजय गांधी पर जरूरत से ज्यादा फोकस किया गया है औऱ कई जगह ये संजय गांधी की कहानी लगती है, उतने की जरूरत नहीं थी.  ये फिल्म उन लोगों के लिए एक डॉक्यूमेंट बन सकती थी जिन्हें इमरजेंसी के बारे में ज्यादा नहीं पता लेकिन ऐसा नहीं हो पाया, ये फिल्म निराश करती है .

अनुपम खेर जेपी नारायण के रोल में जमे हैं. महिमा चौधऱी पुपुल जयकर के रोल में अच्छी लगती है. अटल जी के रोल में श्रेय़स तलपड़े उतने नहीं जमते. संजय गांधी के रोल में विशाक नायर का काम अच्छा है, वो संजय लगते हैं,बाबू जगजीवन राल के रोल में सतीश कौशिक शानदार हैं.

कंगना रनौत ने ही फिल्म को डायरेक्ट किया है, कंगना ने अच्छी कोशिश की है, इतने सारे कलाकारों को साथ लाना, डायरेक्ट करना , आसान नहीं था,  उनका डायरेक्शन ठीक ठाक है लेकिन उनकी एक्टिंग की तरह कमाल नहीं है.