नई दिल्ली. 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले में दोषी ताहव्वर राना को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राना के प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी ताहव्वर राना पर मुंबई हमले की साजिश में मुख्य भूमिका निभाने का आरोप है। यह फैसला भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत माना जा रहा है।
63 वर्षीय ताहव्वर राना वर्तमान में लॉस एंजिल्स की एक जेल में बंद हैं। उन पर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की मदद करने और हमले की साजिश रचने का आरोप है। उन्हें पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली (दाऊद गिलानी) के साथ जोड़ा जाता है, जो हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था। हेडली ने हमले के लिए स्थानों की रेकी करने और अन्य जरूरी जानकारियां जुटाने का काम किया था, जिसमें राना ने उसकी सहायता की।
भारत ने 4 दिसंबर 2019 को ताहव्वर राना के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी सरकार से आधिकारिक अनुरोध किया था। इसके बाद जून 2020 में उनकी अस्थायी गिरफ्तारी के लिए याचिका दायर की गई। भारत और अमेरिका के बीच 1997 में हुई प्रत्यर्पण संधि के तहत यह प्रक्रिया शुरू हुई। राना ने अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ अमेरिकी अदालतों में कानूनी लड़ाई लड़ी, लेकिन सभी स्तरों पर उन्हें असफलता मिली। उन्होंने आखिरी प्रयास के तौर पर 13 नवंबर को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और राना के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी।
यह फैसला भारत की अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है। ताहव्वर राना के प्रत्यर्पण से 26/11 हमले के मामले में न्याय प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। यह घटना 2008 में हुई थी, जब पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने मुंबई में कई स्थानों पर हमला कर 166 लोगों की जान ले ली थी।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-