होलिका दहन का समय शुभ मुहूर्त पूजा विधि कथा मंत्र एवं विशेष सामग्री

होलिका दहन का समय शुभ मुहूर्त पूजा विधि कथा मंत्र एवं विशेष सामग्री

प्रेषित समय :19:49:17 PM / Thu, Mar 13th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

होलिका दहन का समय शुभ मुहूर्त पूजा विधि कथा मंत्र एवं विशेष सामग्री राशि के अनुसार अचूक उपाय
*दहन 13 मार्च 2025 बृहस्पतिवार को-:*
*गवाली (धुलैंडी ) होली 14 मार्च 2025 शुक्रवार को-:*
होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्योहार है. पूरे भारत में इसका अलग ही जश्न और उत्साह देखने को मिलता है. होली भाईचारे, आपसी प्रेम और सद्भावना का त्योहार है. इस दिन लोग एक दूसरे को रंगों में सराबोर करते हैं.
होली हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है. बसंत का महीना लगने के बाद से ही इसका इंतजार शुरू हो जाता है. फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है. हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है. होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्योहार है. पूरे भारत में इसका अलग ही जश्न और उत्साह देखने को मिलता है. होली भाईचारे, आपसी प्रेम और सद्भावना का त्योहार है. इस दिन लोग एक दूसरे को रंगों में सराबोर करते हैं. घरों में गुझिया और पकवान बनते हैं. लोग एक दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं.
*होलिका दहन मुहूर्त-:*
*होलिका दहन 13 मार्च 2025 बृहस्पतिवार को-:*
*रंगवाली होली 14 मार्च 2025 शुक्रवार को-:*
*फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि प्रारंभ-*: 13 मार्च 2025 बृहस्पतिवार को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से.
*फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि समाप्त-*: 14 मार्च  2025 शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक.
*होलिका स्तंभ रोपण स्तंभ पूजन (ठंडी होली की पूजा बड़कूलो की माला बनाना व पूजन करने का मुहुर्त-:*  13 मार्च 2025 बृहस्पतिवार को सुबह 10 बजकर 31 मिनट से पूर्व तक. 
*होलिका दहन 13 मार्च 2025 बृहस्पतिवार को-:*
*होलिका दहन मुहूर्त-:* 13 मार्च 2025 बृहस्पतिवार को रात्रि  11 बजकर 26 मिनट से 25 मार्च 2025 शुक्रवार को रात्रि 12 बजकर 25 मिनट तक. 
*कूल अवधि-:* 00 घण्टे 59 मिनट तक. 
*भद्रा प्रारंभ-:* 13 मार्च 2025 बृहस्पतिवार को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से. 
*भद्रा समाप्त-:* 13 मार्च 2025 बृहस्पतिवार को रात्रि 11 बजकर 26 मिनट तक. 
*भद्रा पूँछ-:* संध्याकाल 06 बजकर 57 मिनट से रात्रि 08 बजकर 14 मिनट तक. 
*भद्रा मुख-:* रात्रि 08 बजकर 14 मिनट से रात्रि 10 बजकर 22 मिनट तक. 
*प्रदोष के दौरान होलिका दहन भद्रा के साथ-:*
*शुभ मुहूर्त-*:
*ब्रह्म मुहूर्त-:* प्रातःकाल 04 बजकर 50 मिनट से प्रातःकाल 05 बजकर 38 मिनट तक. 
*प्रातः सन्ध्या मुहूर्त-:* प्रातःकाल 05 बजकर 14 मिनट से सुबह 06 बजकर 26 मिनट तक.
*अभिजित मुहूर्त-:* दोपहर 12 बजकर 02 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक.
*विजय मुहूर्त-:* दोपहर 02 बजकर 26 मिनट से दोपहर 03 बजकर 14 मिनट तक.
*गोधूलि मुहूर्त-:* संध्याकाल 06 बजकर 23 मिनट से संध्याकाल  06 बजकर 47 मिनट तक. 
*सायाह्न सन्ध्या मुहूर्त-:* संध्याकाल 06 बजकर 26 मिनट से रात्रि 07 बजकर 38 मिनट तक.
*अमृत काल मुहूर्त-:* रात्रि 11 बजकर 19 मिनट से 14 मार्च 2025 को मध्यरात्रि 01 बजकर 04 मिनट तक.
*निशिता काल मुहूर्त-:* 14 मार्च 2025 को मध्यरात्रि 12 बजकर 01 मिनट से 14 मार्च 2025 को मध्यरात्रि 12 बजकर 49 मिनट तक. 
*पूजन सामग्री सूची-:*
प्रहलाद की प्रतिमा, गोबर से बनी होलिका, 5 या 7 प्रकार के अनाज (जैसे नए गेहूं और अन्य फसलों की बालियां या सप्तधान्य- गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) 
1 माला, और 4 मालाएं (अलग से), रोली, फूल, कच्चा सूत, 
साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, मीठे पकवान, मिठाइयां, फल, गोबर की ढाल बड़ी-फुलौरी, एक कलश जल.
*होलिका दहन पूजन विधि-:*
1. सबसे पहले होलिका पूजन के लिए पूर्व या उत्तर की ओर अपना मुख करके बैठें. 
2. अब अपने आस-पास पानी की बूंदें छिड़कें.
3. गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं. 
4. थाली में रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक कलश पानी रखें. 
5. नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए प्रतिमाओं पर रोली, मौली, चावल, बताशे और फूल अर्पित करें.
6. अब सभी सामान लेकर होलिका दहन वाले स्थान पर ले जाएं. 
7. अग्नि जलाने से पहले अपना नाम, पिता का नाम और गोत्र का नाम लेते हुए अक्षत (चावल) में उठाएं और भगवान श्री गणेश का स्मरण कर होलिका पर अक्षत अर्पण करें. 
8. इसके बाद प्रहलाद का नाम लें और फूल चढ़ाएं.  
9. भगवान नरसिंह का नाम लेते हुए पांच अनाज चढ़ाएं.  
10.अब दोनों हाथ जोड़कर अक्षत, हल्दी और फूल चढ़ाएं. 
11. कच्चा सूत हाथ में लेकर होलिका पर लपेटते हुए परिक्रमा करें.
12. आखिर में गुलाल डालकर चांदी या तांबे के कलश से जल चढ़ाएं.
13. इसके बाद होलिका दहन होता है.
14. होलिका दहन के समय मौजूद सभी को रोली का तिलक लगाएं और शुभकामनाएं दें.
*श्रीकृष्ण और पूतना की कहानी-:*
होली का श्रीकृष्ण से गहरा रिश्ता है. जहां इस त्योहार को राधा-कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है. वहीं,पौराणिक कथा के अनुसार जब कंस को श्रीकृष्ण के गोकुल में होने का पता चला तो उसने पूतना नामक राक्षसी को गोकुल में जन्म लेने वाले हर बच्चे को मारने के लिए भेजा. पूतना स्तनपान के बहाने शिशुओं को विषपान कराना था. लेकिन कृष्ण उसकी सच्चाई को समझ गए. उन्होंने दुग्धपान करते समय ही पूतना का वध कर दिया. कहा जाता है कि तभी से होली पर्व मनाने की मान्यता शुरू हुई. 
*होलिका दहन का इतिहास-:*
विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी इसका उल्लेख मिलता है. कुछ लोग मानते हैं कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध किया था. इसी ख़ुशी में गोपियों ने उनके साथ होली खेली थी.

- पंडित चंचल किशोर मिश्रा

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-