सर्वदेवीदेवता स्तोत्र नित्य इसके समरण मात्र से दुःस्वप्ननाश हो जाते

सर्वदेवीदेवता स्तोत्र नित्य इसके समरण मात्र से दुःस्वप्ननाश हो जाते

प्रेषित समय :19:52:17 PM / Thu, Mar 13th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

यह स्तोत्र वामनपुराण में दिया गया है. नित्य इसके समरण मात्र से दुःस्वप्ननाश हो जाते हैं, एवं सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं. सर्व सिद्धिया प्राप्त हो जाती हैं.
                        * स्तोत्रं *
ॐ नमः शिवं दुर्गां गणपतिं कार्तिकेयं दिनेश्वरम्. 
धर्मं गंगां च तुलसीं राधां लक्ष्मीं सरस्वतीम्.. 
नामान्येतानि भद्राणि जले स्नात्वा च यो जपेत्. 
वाञ्छितं च लभेत्  सोपि दुःस्वप्नः शुभवान भवेत्.. 
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं पूर्वं दुर्गतिनाशिन्यै महामायायै स्वाहा. 
कल्पवृक्षो हि लोकानां मंत्रः सप्तदशाक्षरः. 
शुचिश्च दशधा जप्त्वा दुःस्वप्नः सुखवान भवेत्.. 
अर्थ-
ॐ नमः के साथ शिव, दुर्गा, गणपति, कार्तिकेय, दिनेश्वर धर्म, गंगा, तुलसी, राधा, लक्ष्मी, सरस्वती जो मनुष्य इन मंगल नामों का जाप करता है. उसका मनोरथ सिद्ध हो जाता है. दुःस्वप्न नाश हो जाते है. 
मंत्र-
"ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गतिनाशिन्यै महामायायै स्वाहा."
यह सत्तरह अक्षरों वाला मंत्र कल्पवृक्ष के समान है. नित्य १० बार स्मरण करने से भी सुखदायक हो जाता है. 1 करोड़ जाप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है और साधक सभी सिद्धिया प्राप्त कर लेता है.
              .. ॐ सर्वेभ्यो देवताभ्यो नमः ..

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-