केरल हाईकोर्ट : मातृत्व जीवन का एक मौलिक अधिकार है!
प्रेषित समय :00:55:46 AM / Sun, Mar 16th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर
अभिमनोज
विवाहित महिलाओं के हक में केरल हाईकोर्ट का कहना है कि- मातृत्व जीवन का एक मौलिक अधिकार है.
खबरों की मानें तो.... केरल हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि- पचास साल की महिला भी सरोगेसी का विकल्प चुन सकती है, क्योंकि.... सरोगेसी (रेगुलेशन) एक्ट, 2021 के तहत ऐसा करने की इजाजत है.
खबर है कि.... चीफ जस्टिस नितिन जमदार और जस्टिस एस. मनु की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को पलटते हुए पचास साल की महिला को मां बनने की तमन्ना पूरी करने की स्वीकृति दे दी है.
अदालत का कहना है कि- विवाहित महिला मां बनने की तमन्ना पूरी कर सकती हैं, क्योंकि कानून में सरोगेसी के लिए उम्र सीमा 23 से 50 साल के बीच है, जिसमें पचास साल की महिलाएं भी शामिल हैं.
उल्लेखनीय है कि.... केरल स्टेट असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी एंड सरोगेसी बोर्ड ने पहले एक महिला को सरोगेसी की इजाजत देने से मना कर दिया था और यह कहना था कि- कानून के अनुसार सरोगेसी कराने की इच्छुक विवाहित महिला की उम्र सर्टिफिकेट जारी होने की तारीख पर 23 से 50 साल के बीच होनी चाहिए, इसके बाद वह महिला और उसका पति हाईकोर्ट पहुंचे जहां पहले सिंगल बेंच ने बोर्ड के फैसले को सही माना, लेकिन.... डिवीजन बेंच ने महिला की अपील को मंजूर करते हुए केरल स्टेट असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी एंड सरोगेसी बोर्ड को एक हफ्ते के भीतर एलिजिबिलिटी सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश दिया है!