नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि कानून आलस्य को बढ़ावा नहीं देता है और कहा कि कमाने की क्षमता वाली योग्य महिलाओं को अपने पतियों से अंतरिम भरण-पोषण का दावा नहीं करना चाहिए.
न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 (पत्नी, बच्चों व माता-पिता के भरण-पोषण का आदेश) में पति-पत्नी के बीच समानता बनाए रखने, पत्नी, बच्चों व माता-पिता को सुरक्षा प्रदान करने का विधायी इरादा है, लेकिन यह आलस्य को बढ़ावा नहीं देता है. इसलिए इस आदेश ने एक महिला की उस याचिका को खारिज कर दिया. जिसमें उसने अपने अलग हुए पति से अंतरिम भरण-पोषण देने से इनकार करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी.
न्यायमूर्ति श्री सिंह ने कहा कि एक सुशिक्षित पत्नी, जिसके पास उपयुक्त लाभकारी नौकरी का अनुभव हो, को केवल अपने पति से भरण.पोषण पाने के लिए निष्क्रिय नहीं रहना चाहिए. इसलिए वर्तमान मामले में अंतरिम भरण-पोषण को हतोत्साहित किया जा रहा है क्योंकि यह न्यायालय याचिकाकर्ता में कमाने और अपनी शिक्षा का लाभ उठाने की क्षमता देख सकता है.
हालांकि अदालत ने उसे आत्मनिर्भर बनने के लिए सक्रिय रूप से नौकरी की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित किया और कहा कि उसके पास व्यापक अनुभव है और वह अन्य अशिक्षित महिलाओं के विपरीत दुनियावी मामलों से वाकिफ है. जो बुनियादी जीविका के लिए पूरी तरह से अपने पति पर निर्भर हैं. इस जोड़े ने दिसंबर 2019 में शादी की और सिंगापुर चले गए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-