बेंगलूरू. देश में औरंगजेब को लेकर छिड़ी बहस और नागपुर में हुई हिंसा के बाद मचे बवाल के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि बाबा साहब बीआर आंबेडकर द्वारा लिखित संविधान में धर्म आधारित आरक्षण स्वीकार नहीं किया गया.
उन्होंने यह भी कहा कि अयोध्या में राम मंदिर संघ की उपलब्धि नहीं है, बल्कि समाज की उपलब्धि है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आक्रमणकारी या आक्रांताओं जैसी मानसिकता वाले लोग भारत के लिए खतरा हैं. उन्होंने एक वक्त पर कर्नाटक में मचे बवाल को लेकर भी बात की और कहा कि भाजपा शासन के दौरान मंत्रियों के निजी सचिव के रूप में संघ के पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए कभी जोर नहीं दिया गया.
औरंगजेब पर मचे बवाल पर होसबोले ने रविवार को बंगलूरू में कहा कि अतीत में बहुत सी घटनाएं हुई हैं. दिल्ली में एक औरंगजेब रोड थी, जिसका नाम बदलकर अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया. इसके पीछे कुछ कारण थे. औरंगजेब के भाई दारा शिकोह को हीरो नहीं बनाया गया. गंगा-जमुनी तहजीब की वकालत करने वालों ने कभी दारा शिकोह को आगे लाने के बारे में नहीं सोचा. क्या हम किसी ऐसे व्यक्ति को आइकॉन बनाएंगे जो भारत की संस्कृति के खिलाफ था, या हम उन लोगों के साथ जाएंगे जिन्होंने इस भूमि की परंपराओं के अनुसार काम किया?
उन्होंने कहा कि अगर आजादी की लड़ाई अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी जाती है तो यह आजादी की लड़ाई है. उनसे पहले जो लोग थे यानी अंग्रेजों से पहले, उनके खिलाफ लड़ाई भी आजादी की लड़ाई थी. महाराणा प्रताप ने जो किया, वह आजादी की लड़ाई थी. अगर आक्रमणकारी मानसिकता वाले लोग हैं, तो वे देश के लिए खतरा हैं. हमें तय करना होगा कि हम अपने देश की संस्कृति के साथ किसे जोडऩे जा रहे हैं. यह धर्म की बात नहीं है. यह आरएसएस का दृढ़ विचार है.
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