पलपल संवाददाता, जबलपुर। एमपी के जबलपुर में समरस भारत-समर्थ भारत के लिये सब सबको जाने-सब सबको माने, एक अभियान के अंतर्गत समरसता सेवा संगठन द्वारा भगवान झूलेलाल एवं निषादराज जी की जयंती के अवसर पर विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। पूज्य संत स्वामी अशोकानंद महाराज के सानिध्य, मुख्य अतिथि ग्लोबल ग्रुप के चेयरमैन सौरभ बड़ेरिया विशिष्ठ अतिथि, पॉलिटेक्निक कॉलेज की व्याख्याता डॉ राखी ठाकुर, सिंधी सेंट्रल पंचायत अध्यक्ष करतार सिंह बठीजा, संगठन अध्यक्ष संदीप जैन, सचिव उज्ज्वल पचौरी की उपस्थिति में महेश भवन गोपालबाग दमोहनाका के पास किया गया।
स्वामी अशोकानंद जी ने विचार गोष्ठी में आशीर्वचन देते हुए कहा समरसता जो शब्द है यह हमारे वेदों का शब्द है। वर्तमान में हमे समरसता की आवश्यकता पड़ रही है और इसीलिए आवश्कता पड़ रही है क्योंकि हम अपनी संस्कृति, संस्कार परंपरा व परमात्मा को विसरा चुके है। इसीलिए हम आज साथ होते हुए भी दूर हो रहे हैं। आज हमने सरलता खो दी, सहजता खो दी है, हमारे परिवारों में भी टूट हो रही है, समाज में भेदभाव हो रहा है। इस स्थिति को रोकने के लिए हमे अपने वेदों, शास्त्रों को पढऩा होगा, समझना होगा, गुरुओं का सत्संग करना होगा, आध्यात्म की ओर जाना होगा तब हम समरस समाज की स्थापना कर पाएंगे। स्वामी जी ने कहा हमे अपने देखने का तरीका बदलना होगा जब हम प्रत्येक प्राणी में ईश्वर का रूप देखेंगे तो फिर भेदभाव तो होगा ही नही और स्वयमेव ही सभी में समरसता आ जायेगी और हमारे यह कार्यक्रम सार्थक हो जाएंगे।
मुख्य वक्ता सौरभ बड़ेरिया ने विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कलयुग के पूर्व किसी भी युग में भेदभाव नहीं होता था यह भेदभाव कहां से और क्यों आया इसको जानेंगे तो पाएंगे कि भेदभाव पहले नही था हमारे बुजुर्गो ने तो कार्य के आधार पर वर्ण व्यवस्था की थी। जो जिस कार्य में पारंगत था उसके पीढ़ी उसे सीख कर आगे बढ़ाती गई पर इससे जाति समाज को भेद हो गया। आज इस भेद को मिटाने के लिए समरसता सेवा संगठन जैसा संगठन आज जो कार्य कर रहा है यह देव कार्य है। उनका साथ देने के लिए हमे भी अपने अपने स्तर पर कार्य करना होगा। इसके लिए ज्यादा कुछ नहीं सिर्फ अपने दैनिक कार्यों में अपने बीच के लोगो के साथ समरसता के भाव को प्रकट करना है। विशिष्ठ अतिथि डॉ राखी ठाकुर ने विचार गोष्टी को संबोधित करते हुए कहा जिनके विचारो में कोई भेद न हो उन्हे समरस कहते है। समरसता सेवा संगठन का गठन ही सभी को एक जुट करने और हमारे संतो के विचारो को सभी के बीच ले जाने के लिए ही किया गया यह कार्य अनुकरणीय और प्रसंशनीय है इसके लिए संगठन के अध्यक्ष संदीप जैन के साथ संगठन के सभी सदस्य बधाई की पात्र है।
समरसता सेवा संगठन के अध्यक्ष श्री संदीप जैन ने कार्यक्रम की प्रस्तावना के साथ स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा समरसता हमारी संस्कृति और परंपरा में रही है किंतु कालांतर में लोगो को जाति समाज के भेद करके बांट दिया गया। हमारे ऐसे संत महात्मा, देवियों जिन्होंने सर्व समाज के मंगल के लिए विचार और भाव से कार्य किया परंतु हमने उन्हें जाति समाज में बांध दिया। अपने अपने जाति के आराध्य बना दिए इसीलिए हमने मिलकर तय किया कि हमारे इन आराध्य को सब जाने और सब माने इस भाव के साथ समरस भारत से समर्थ भारत के निर्माण में योगदान देने हेतु दो वर्ष पूर्व समरसता सेवा संगठन का गठन किया। आप सभी के सहयोग और सहभागिता से इन दो वर्षो में 65 संगोष्ठीयां कजलियां महोत्सव, होली महोत्सव जैसे बड़े आयोजन किए गए। इसी क्रम में आज भगवान झूलेलाल और निषादराज गुहा की जन्म जयंती पर विचार गोष्ठी एवं प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया है। संगठन वक्ता के रूप आलोक पाठक ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन धीरज अग्रवाल एवं आभार सचिव उज्ज्वल पचौरी ने व्यक्त किया।
इनका किया गया सम्मान-
कार्यक्रम के दूसरे चरण में तारु खत्री, डॉ एमएल केवट, गोपीचंद खत्री, महेश टेकचंदानी, मोहन कश्यप, उषा टेकचंदानी, आरडी रैकवार, विजय रोहाणी, जगदीश बर्मन, भरत मंगलानी, सोनू बचवानी, खुशबू टेकचंदानी, राजेश सोंधिया, रूपेश खत्री, रवि गंगवानी, मुस्कान तेजवानी, कैलाश कश्यप, महिमा बुधरानी, प्रिया सोंधिया, जयकुमार किशन रैकवार, तुषार दुलानी, सुजीत सोधिया, कविता मेघवानी, गणेश सोंधिया, विकास मोटवानी, नाथूलाल सोंधिया, विक्रम जोधानी का सम्मान किया गया।
ये रहे उपस्थित-
इस अवसर पर शरदभाई पालन, कुसुम चौबे, तारु खत्री, विजय रोहाणी, सुरेश भागचंदानी, मोहन कश्यप, रमेश सोंधियां, मथुरा चौबे, सुशील चौबे, सोनू बचवानी, आभा साहू, ऋ तु चौरसिया, नरेंद्र साहू, चंद्रशेखर शर्मा, निर्मल पटेल, सुरेश पांडे, मनीष यादव, प्रवीण चांवडा, प्रवीण डोंगरे सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे।