राज्यपालों को सुप्रीम कोर्ट की सलाह- लंबे समय तक बिल नहीं रोकें, जनता चुनती है विधायक!

राज्यपालों को सुप्रीम कोर्ट की सलाह- लंबे समय तक बिल नहीं रोकें

प्रेषित समय :00:23:35 AM / Wed, Apr 9th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि की ओर से रोके गए दस विधेयकों को मंजूरी दे दी है.
खबरों की मानें तो.... अदालत ने इस दौरान साफ-साफ कहा कि- राज्यपाल किसी विधेयक को रोक नहीं सकते हैं, वे ’पूर्ण वीटो’ या ’आंशिक वीटो’ का उपयोग नहीं कर सकते हैं, क्योंकि.... संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास कोई विवेकाधिकार नहीं होता है, उन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही काम करना होता है.
यही नहीं, अदालत ने यह भी कहा कि- जनता विधायकों को चुनती है, इसलिए लंबे समय तक बिल नहीं रोकें.
खबरों पर भरोसा करें तो.... अदालत ने सुनवाई के दौरान राज्य विधानसभा से पास किए गए विधेयकों पर कार्रवाई के लिए राज्यपालों के लिए समय सीमा भी निर्धारित कर दी.
खबरें हैं कि.... जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच का कहना है कि- राज्यपाल का दस विधेयकों को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखना गैरकानूनी और मनमाना था, अतः इसे रद्द किया जाता है.
अदालत का कहना है कि- संविधान के अनुच्छेद 200 में राज्यपाल की ओर से कार्रवाई करने के लिए कोई समय सीमा नहीं है, इसका मतलब यह नहीं है कि राज्यपाल विधेयकों पर कार्रवाई ही नहीं करें, इसके बाद अदालत ने समय सीमा तय करते हुए कहा कि- राज्यपाल किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए अधिकतम एक महीने तक रोक सकते हैं और यदि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना किसी विधेयक को रोकना चाहते हैं, तो उन्हें इसे तीन महीने के अंदर विधानसभा को वापस भेजना होगा.
इतना ही नहीं, अदालत ने यह भी कहा कि- यदि राज्य विधानसभा विधेयक को दोबारा पास करती है, ऐसी स्थिति में राज्यपाल को एक महीने के अंदर उसे मंजूरी देनी होगी.
इस संबंध में अदालत ने स्पष्ट किया कि- यदि समय सीमा का पालन नहीं किया जाता है, तो अदालतें न्यायिक समीक्षा करेंगी.
उल्लेखनीय है कि.... सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल को दोबारा भेजे गए विधेयकों को पास मानने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल किया है!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-