अभिमनोज
पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के लिए कोई समय-सीमा तय की है, अदालत का कहना है कि- राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा उनके विचारार्थ सुरक्षित रखे गए विधेयकों पर तीन महीने के अंदर फैसला लेना चाहिए.
खबरों की मानें तो.... तमिलनाडु के राज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला शुक्रवार को ऑनलाइन अपलोड किया गया, जिसके अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने यह तय किया है कि राष्ट्रपति को राज्यपाल की तरफ से उनके विचार के लिए आरक्षित विधेयकों पर संदर्भ प्राप्त होने की तारीख से तीन माह के भीतर निर्णय लेना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि.... सुप्रीम कोर्ट की ओर से तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि की ओर से राष्ट्रपति के विचार के लिए रोके गए और आरक्षित किए गए दस विधेयकों को मंजूरी देते हुए, राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई करने के लिए सभी राज्यपालों के लिए समय-सीमा तय की थी, इसके बाद इससे संबंधित फैसला शुक्रवार रात को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया.
इस विषयक फैसले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि- हम गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित समय-सीमा को अपनाना उचित समझते हैं तथा निर्धारित करते हैं कि राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा उनके विचारार्थ सुरक्षित रखे गए विधेयकों पर संदर्भ प्राप्त होने की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर निर्णय लेना जरूरी है.
यही नहीं, यदि देरी होती है, तो उचित कारण दर्ज करके संबंधित राज्य को सूचित करना होगा.
खबरों पर भरोसा करें तो.... अदालत का कहना है कि- जहां राज्यपाल राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयक को आरक्षित करता है और राष्ट्रपति उस पर अपनी सहमति नहीं देते हैं, तो राज्य सरकार के लिए इस न्यायालय के समक्ष ऐसी कार्रवाई करने का अधिकार होगा!
सुप्रीम कोर्ट की राष्ट्रपति के लिए समय-सीमा तय, तीन महीने के भीतर बिल पर फैसला लेना जरूरी!
प्रेषित समय :20:36:06 PM / Sat, Apr 12th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर




