शनिमृत्युंजय स्तोत्र का पाठ हर शनिवार को करें

शनिमृत्युंजय स्तोत्र का पाठ हर शनिवार को करें

प्रेषित समय :20:45:13 PM / Sat, Apr 12th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

शनिमृत्युंजय स्तोत्र 
अकालमृत्यु, शनिपीडा से मुक्ति एवं शनि के कारण होने वाली असाध्य बीमारी  से बचने के लिये आप इसका पाठ हर शनिवार कर सकते हैं। 
शनिदेव ध्यान-
ध्यायेत नीलं शनिं घोरं त्रिपुरारिं त्रिदण्डकं।  
खडगहस्ते दधानंतं वामदक्षिणयो: क्रमात।। 
गृध्रोपरिगतं शुष्कं दीर्घांगं काललोचनं। 
महाकालं शनिं शंभुं त्रिपुरारिं त्रिलोचनं।। 
महोग्रं क्रूरकर्माणं देवदेवं शनैश्चरम्। 
चतुर्भुजे: सूर्यसुत: प्रशांत: योगेश्वरं।। 
।। महाकाल शनिमृत्युंजय स्तोत्रम् ।। 
ॐ ह्रीं श्रीकालरुपिं नमस्तेस्तु सर्वपापप्रणाशक:। 
त्रिपुरस्य वधार्थाय शंभुजाताय ते नम:।। 
ॐ नम: कालशरीराय कालन्नुनाय ते नम:। 
कालहेतो नमस्तुभ्यं कालनंदाय वै नम:।। 
ॐ अखंडदंडमानाय त्वनाद्यन्ताय वै नम:। 
कालदेवाय कालाय कालकालाय ते नम:।। 
ॐ निमेषादि महाकल्प कालरुपं च भैरवं। 
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।। 
ॐ दातारं सर्वभव्यानां भक्तानां अभयंकरं। 
 मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।। 
ॐ कर्तारं सर्वदु:खानां दुष्टानां भयवर्धनं। 
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।। 
ॐ हर्तारं ग्रहजातानां फलानां अघकारिणां। 
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।। 
ॐ सर्वेषामेव भूतानां सुखदं शांतिमव्ययं। 
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।। 
ॐ कारणंसुखदु:खानां भावाभावस्वरुपिणं। 
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।। 
ॐ अकालमृत्युहरणं अपमृत्युनिवारणं। 
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।। 
ॐ कालरुपेण संसारं भक्षयंतं महाग्रहंमहाग्रहं। 
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।। 
ॐ दुर्निरिक्ष्यं स्थूलरोमं भीषणं दीर्घलोचनं। 
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।। 
ॐ ग्रहाणं ग्रहभूतं च सर्वग्रह निवारणं। 
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।। 
ॐ कालस्यवशगा: सर्वेन काल: कस्यचित वश:। 
तस्मात्वां कालपुरुषं प्रणतोस्मि शनैश्चरम्।। 
ॐ कालदेव जगत्सर्वं कालएव विलीयते । 
कालरुपं स्वयं शंभु: कालात्मा ग्रहदेवतां।। 
ॐ चंडीशो रुद्र डाकिन्याक्रांत: चंडीश उच्यते। 
विद्युदाकलितो नद्यां समारुढो रसाधिप।। 
ॐ चंडीश: शुकसंयुक्तो जिव्ह्या ललित:पुन:। 
क्षतजस्तामशी शोभी स्थिरात्मा विद्युतयुत:।। 
ॐ ह्रीं नमोन्तो मनुरित्येष शनितुष्टिकर: शिवे। 
आद्यंते अष्टोत्तरशतं मनुमेनं जपेन्नर:।। 
   ।। इति महाकाल शनिमृत्युंजय स्तोत्रं समाप्तम् ।।
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-