अभिमनोज
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि- यदि किसी व्यक्ति को बिना मुकदमा चले लंबे समय तक जेल में रखा गया है, तो उसे सजा मान लेना सही नहीं है.
खबर है कि.... जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने जब देखा कि- याचिकाकर्ता पिछले पांच साल दो महीने से जेल में है और मुकदमा अब तक शुरू नहीं हुआ है, तो उत्तर प्रदेश के एक ड्रग्स मामले में गिरफ्तार आरोपित को अदालत ने जमानत दी.
खबरों की मानें तो.... राज्य सरकार के वकील ने जब जमानत का विरोध करते हुए यह कहा कि- जिस सह-आरोपित को जमानत मिली थी, वह अदालत में पेश नहीं हो रहा है, तो अदालत ने कहा कि- इस अदालत ने अनेक मामलों में यह कहा है कि- बिना मुकदमा शुरू हुए किसी को लंबे समय तक जेल में रखना और उसे सजा मान लेना कानून के खिलाफ है.
आरोपित ने वर्ष 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जमानत खारिज करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.
इस मामले में जब राज्य सरकार की ओर से यह कहा गया कि सह-आरोपी अदालत में नहीं आ रहा है, तब बेंच ने कहा कि- राज्य को हमेशा यह अधिकार है कि वह उसकी जमानत रद्द करवाने के लिए कदम उठाए, लेकिन केवल इस कारण से याचिकाकर्ता को सजा नहीं दी जा सकती कि दूसरा आरोपित कोर्ट नहीं आ रहा है.
उल्लेखनीय है कि.... हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने कहा था कि- उसे उस जगह से गिरफ्तार नहीं किया गया था, जहां से 150 किलो गांजा बरामद हुआ था, यही नहीं, बाकी सभी सह-आरोपितों को पहले ही जमानत मिल चुकी है, लिहाजा उसे भी समानता के आधार पर जमानत मिलनी चाहिए!
सुप्रीम कोर्ट: बिना सुनवाई के आरोपित को लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता है!
प्रेषित समय :20:08:57 PM / Thu, Apr 24th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर



