महाराष्ट्र: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फडणवीस के कैबिनेट मंत्री पर मुकदमा दर्ज, यह है मामला

महाराष्ट्र: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फडणवीस के कैबिनेट मंत्री पर मुकदमा दर्ज, यह है मामला

प्रेषित समय :17:40:15 PM / Wed, Apr 30th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

मुंबई. महाराष्ट्र बीजेपी के वरिष्ठ नेता और फडणवीस कैबिनेट में मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. देश की शीर्ष कोर्ट के आदेश पर अहिल्यानगर जिले की पुलिस ने राज्य सरकार में मंत्री पाटिल और 53 अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. सभी पर किसानों को 8.86 करोड़ रुपये का कर्ज देने में धोखाधड़ी करने का आरोप है.

एक अधिकारी ने बताया कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दर्ज किया गया है. एफआईआर में विखे पाटिल को आरोपी नंबर 19 के रूप में नामित किया गया है. दो दशक पुराना यह मामला पद्मश्री विठ्ठलराव विखे पाटिल सहकारी चीनी मिल से जुड़ा है. उस चीनी मिल को तब राधाकृष्ण विखे पाटिल नियंत्रित करते थें.

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की कर्ज माफी योजना के तहत प्राप्त राशि के कथित रूप से चीनी कारखाने के प्रबंधन के लिए इस्तेमाल करने के आरोपों की जांच के लिए पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया. जिसके बाद अहिल्यानगर के लोनी-राहता पुलिस थाने में सोमवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. मामले में आगे की कार्रवाई जारी है. शिकायत में विखे पाटिल व अन्य पर वित्तीय गड़बड़ी और किसानों के लिए बनाई गई कर्ज माफी योजना का दुरुपयोग करके सरकार के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है.

यह है पूरा मामला

यह एफआईआर 66 वर्षीय किसान और लंबे समय से सहकारी संस्था के सदस्य बालासाहेब केरुनाथ विखे की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है. उन्होंने आरोप लगाया है कि किसानों के नाम पर बिना उनकी जानकारी या सहमति के कर्ज लिए गए. यह धोखाधड़ी चीनी मिल प्रबंधन और बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया.

एफआईआर के अनुसार, वर्ष 2004 से 2006 के बीच चीनी मिल के संचालक मंडल ने सदस्य किसानों के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर कर्ज प्राप्त किए. तब यूनियन बैंक ने 3.11 करोड़ रुपये और बैंक ऑफ इंडिया ने 5.74 करोड़ रुपये का कर्ज दिया. हालांकि यह राशि कभी किसानों को नहीं दी गई, बल्कि आरोप है कि मिल से जुड़े लोगों ने बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से इस पैसे का गबन कर लिया. इसके बाद वर्ष 2007 में आरोपियों ने सरकार की कर्ज माफी योजना का दुरुपयोग करते हुए इन फर्जी ऋणों को असली बताकर लाभ लिया और सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया.
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-