कनार्टक: पदम श्री से सम्मानित वैज्ञानिक सुब्बना अय्यपन कावेरी नदी में मृत पाए गए

कनार्टक: पदम श्री से सम्मानित वैज्ञानिक सुब्बना अय्यपन कावेरी नदी में मृत पाए गए

प्रेषित समय :17:06:30 PM / Tue, May 13th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

रंगपटना. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूर्व महानिदेशक व पद्मश्री पुरस्कार विजेता डॉ सुब्बान्ना अय्यप्पन रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाए गए. कर्नाटक के श्रीरंगपटना में साईं आश्रम के पास कावेरी नदी में एक शव मिलने के बाद पुलिस को इसकी सूचना दी गई.

पुलिस का कहना है कि प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक व पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ सुब्बान्ना अय्यप्पन उम्र 70 वर्ष कावेरी नदी में श्रीरंगपटना कर्नाटक में साईं आश्रम के पास मृत पाए गए. अय्यप्पन अपनी पत्नी के साथ मैसूर के विश्वेश्वर नगर औद्योगिक क्षेत्र में रह रहे थे. श्री अय्यप्पन 7 मई को अपने घर से लापता हो गए थे. तीन दिन बाद भी जब वह वापस नहीं लौटे तो परिवार ने मैसूर के विद्यारणपुरम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. श्रीरंगपटना पुलिस ने मामला दर्ज कर उनकी मौत के कारणों की जांच शुरू कर दी है. ऐसा माना जा रहा है कि  उन्होंने नदी में छलांग लगाई होगी. पुलिस का कहना है कि पीएम रिपोर्ट व जांच में मिले तथ्यों के बाद ही मौत के कारणों का खुलासा हो पाएगा.

गौरतलब है कि भारत की नीली क्रांति के प्रमुख वास्तुकार के रूप में व्यापक रूप से पहचाने जाने वाले डॉ अय्यप्पन ने मछली पालन के नए व बेहतर तरीके बनाए. जिसने पूरे भारत में मछली पालन और पकडऩे के तरीके को बदल दिया. उनके काम ने ग्रामीण आजीविका को ऊपर उठाया, खाद्य प्रणालियों को मजबूत किया.इन दूरगामी योगदानों के सम्मान में उन्हें 2022 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया. कर्नाटक के चामराजनगर जिले के येलंदूर में 10 दिसंबर 1955 को जन्मे अय्यप्पन ने 1975 में बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस (बीएफएससी) व 1977 में मंगलुरु से मास्टर ऑफ फिशरीज साइंस (एमएफएससी) पूरा करने के बाद अपने प्रतिष्ठित करियर की शुरुआत की.

बाद में उन्होंने 1998 में बेंगलुरु के कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की. कई दशकों तक फैले डॉ अय्यप्पन के जलीय कृषि और टिकाऊ कृषि के करियर में कई नेतृत्वकारी भूमिकाएं रहीं. उन्होंने भुवनेश्वर में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर व मुंबई में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन के निदेशक के रूप में कार्य किया. वह हैदराबाद में राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के संस्थापक मुख्य कार्यकारी भी थे और बाद में भारत सरकार के कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग में सचिव के पद पर रहे. अपने बाद के वर्षों में उन्होंने परीक्षण व अंशांकन प्रयोगशालाओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड की अध्यक्षता की और इम्फाल में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में कार्य किया. 
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-