मंत्रों को सिद्ध करने के लिए जाप की निश्चित संख्या तय की गई है, जिसे “मंत्र सिद्धि” के लिए आवश्यक माना जाता है. यह संख्या विभिन्न मंत्रों के लिए अलग-अलग हो सकती है, और इसे वैदिक ग्रंथों और तांत्रिक विधियों के अनुसार निर्धारित किया गया है. मंत्र सिद्धि का अर्थ है कि मंत्र के जाप के माध्यम से उसमें शक्ति उत्पन्न हो जाती है और वह व्यक्ति के लिए फलदायक होने लगता है.
नीचे कुछ प्रमुख मंत्रों के लिए जाप संख्या दी गई है जो साधारणतः मानी जाती है:
1. छोटे मंत्र या बीज मंत्र – 1,25,000 बार (सवा लाख) जाप
छोटे और बीज मंत्र जैसे “ॐ” या “ह्रीं” आदि को सिद्ध करने के लिए 1,25,000 बार जप करना आवश्यक माना गया है. इस संख्या के पूरा होने पर मंत्र में सिद्धि प्राप्त होती है.
2. मध्यम या सामान्य मंत्र – 3,00,000 से 5,00,000 बार
साधारण या सामान्य मंत्रों को सिद्ध करने के लिए 3 से 5 लाख बार जप की आवश्यकता होती है. उदाहरण के लिए “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” जैसे मंत्रों को सिद्ध करने के लिए इतनी संख्या में जाप किया जाता है.
3. वृहद् मंत्र या महा मंत्र – 7,00,000 से 10,00,000 बार
महा मंत्र जैसे “गायत्री मंत्र” या “महामृत्युंजय मंत्र” की सिद्धि के लिए 7 से 10 लाख बार जाप की जरूरत होती है. यह मंत्र अत्यधिक प्रभावी होते हैं और इन्हें सिद्ध करने के लिए अधिक तप और संयम की आवश्यकता होती है.
मंत्र सिद्धि के कुछ महत्वपूर्ण नियम
मंत्र सिद्धि में सफलता पाने के लिए जाप के साथ कुछ आवश्यक नियमों का पालन करना होता है:
• लगातार जाप: मंत्र सिद्धि के लिए जाप नियमित और लगातार करना चाहिए, जिससे मंत्र की ऊर्जा बढ़े और उसमें शक्ति संचारित हो.
• माला का प्रयोग: सामान्यतः रुद्राक्ष, तुलसी, या कमलगट्टे की माला का प्रयोग जाप में किया जाता है ताकि जाप की गिनती और एकाग्रता बनी रहे.
• पवित्रता और साधना स्थल: मंत्र सिद्धि के लिए साफ-सुथरा और शांत स्थान चुनें. साधना करते समय शरीर और मन की शुद्धि पर ध्यान देना चाहिए.
• समय का चुनाव: मंत्र जाप का समय नियमित होना चाहिए. प्रातःकाल या रात्रि का समय जाप के लिए उत्तम माना जाता है.
• गुरु की अनुमति और मार्गदर्शन: मंत्र सिद्धि के लिए गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक माना गया है. उनके मार्गदर्शन में जाप अधिक सफल होता है और व्यक्ति को सही दिशा मिलती है.
मंत्र सिद्धि के लिए निश्चित संख्या में जाप के साथ निरंतरता, श्रद्धा, और पवित्रता का पालन आवश्यक होता है. मंत्र की सिद्धि के बाद यह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिणाम लाने में सक्षम हो जाता है. ध्यान रखें कि मंत्र सिद्धि का उद्देश्य केवल आध्यात्मिक उन्नति और आंतरिक शांति होना चाहिए, न कि किसी भौतिक लालसा के लिए.
एस्ट्रो रेणुका दीक्षित
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-