चंडीगढ़. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में चल रहे ड्रग्स के खिलाफ युद्ध के बीच नशा मुक्ति यात्रा की घोषणा की. जिसे राज्य में नशीली दवाओं के दुरुपयोग को खत्म करने के लिए प्रशासन द्वारा शुरू किया गया है. पंजाब में नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के इस प्रयास में उनके साथ मुख्यमंत्री भगवंत मान भी होंगे. उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति यात्रा पंजाब के प्रत्येक गांव और वार्ड में जाएगी ताकि नशीली दवाओं के दुरुपयोग और नशीली दवाओं की बिक्री के खिलाफ लोगों के संकल्प को मजबूत किया जा सके. यह लोगों को नशे की लत के शिकार लोगों को इलाज मुहैया कराने के लिए राजी करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगी ताकि उनकी भलाई सुनिश्चित हो सके.
अरविंद केजरीवाल ने इसकी शुरूआत करते हुए कहा कि पंजाब में नशे के विरुद्ध छिड़ा हुआ है युद्ध. पंजाब में नशे के विरुद्ध जबरदस्त लड़ाई चल रही है. गांव नशा मुक्त हो रहे हैं. जिन कुछ जगह नशे के बीज बचे हैं, जल्द ही उन्हें भी खत्म करेंगे. पिछली सरकारों ने पंजाब को नशे की गिरफ्त में डाल दिया था. सरकार के मंत्री नशे का कारोबार करते थे. लेकिन आज पंजाब में ईमानदार सरकार है और हमारा कोई नेता नशे का कारोबार नहीं करता है. उन्होंने कहा कि पंजाब को नशा मुक्त बनाने के लिए हमारी जान भी हाजिर है. उन्होंने कहा कि अब पंजाब के लोगों को भी पंजाब को नशा मुक्त बनाने की जिम्मेदारी लेनी होगी. आपको किसी भी नशा तस्कर की जमानत नहीं लेनी है. इसके साथ ही नशा पीडि़त को बचाने के लिए सरकार के नशा मुक्ति केंद्र में ले जाइएगा, हम वहां उनकी मदद करेंगे. सरकार के सभी रिहैब सेंटर शानदार बना दिए गए हैं.
हमारी सरकार सभी 13000 गांवों में खेल के मैदान बना रही है और 3000 पिंड में जिम शुरू किया जा रहा है. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब में नशा ख़त्म करने के लिए सभी को मिलकर लोक लहर चलानी होगी. पंजाबी अगर किसी बुराई को ख़त्म करने के लिए ठान लेते हैं तो फिर उसे ख़त्म करके ही छोड़ते हैं. हमें फिर से पंजाब को खेलों वाला, फौज में भर्ती होने वाले युवाओं वाला रंगला पंजाब बनाना है. उन्होंने कहा कि इस बार फिर 12जी कक्षा के नतीजों में लड़कियों ने बाजी मारी है. पहले मां-बाप अपनी बेटियों को स्कूल में शिक्षा दिलाने से पीछे हट जाते थे क्योंकि स्कूल जाने के लिए कोई साधन नहीं होता था. लेकिन हमारी सरकार ने 10000 बच्चों को स्कूल लाने और वापस घर ले जाने के लिए बसें शुरू की हैं. जिसमें जीपीएस सिस्टम लगा हुआ है. माता-पिता को पता चल जाता है कि उनकी बेटी कहां तक पहुंची.