मनीषा छिम्पा
लूणकरणसर, राजस्थान
क्यों कहें तुझको अबला, तू तो है शक्ति की मिसाल,
तेरे कदमों से रोशन हो जाए हर एक हाल,
चूल्हा, चौका ही क्यों, तुझे कलम भी थामनी है,
हर मंजिल पर तेरा नाम अब लिखवाना है,
दहलीजो में मत क़ैद रह, तू नाम की उड़ान भर,
हर सपने को सच कर, अब ख़ुद पर तू गर्व कर,
तेरे बिना अधूरा है समाज का आकार,
तू डटे तो बदल जाए संसार का व्यवहार,
दहेज, भेद, बंदिशे अब तुझे नहीं है सहनी,
तेरी चुप्पी नहीं, आवाज़ बनेगी तेरी कहानी,
शिक्षा, सम्मान, हक ये सब हैं तेरे अधिकार,
हर दीवार गिरा, तुझमें अब नया संसार है,
बेटी, बहन, माँ, पत्नी हर रूप में है तू महान,
तेरे बिना अधूरा है ये घर और सारा जहान,
अब वक्त है कि तुझे नमन करे सारा संसार,
ज़माना ख़ुद कहे- तू है सशक्त, तेरी जीत है हर बार।।