हमारा जीवन केवल कर्मों का फल नहीं, बल्कि आकाशीय ग्रहों की अदृश्य डोरियों से बंधा एक संगीत भी है. जब राहु जैसे छाया ग्रह का अशुभ प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है, तो मन की वीणा बेसुर हो जाती है.
घर में टूटा या गंदा शौचालय केवल वास्तु दोष नहीं होता, यह संकेत है कि भीतर कहीं कुछ सड़ रहा है. जिस प्रकार गंदगी बाहर दिखाई देती है, ठीक उसी प्रकार हमारे अवचेतन में भी असंतुलन पनपने लगता है. राहु जब कुंडली में अपनी विषैली छाया फैलाता है, तो व्यक्ति अतीत की गलियों में भटकने लगता है, वह बार-बार उन्हीं घावों को कुरेदता है, जिन्हें समय ने कभी भरने की कोशिश की थी.
भविष्य के ख्याली पुलाव बनाना और वर्तमान से कट जाना राहु की सबसे गहरी चाल है. वह व्यक्ति को वास्तविकता से तोड़कर कल्पना के जाल में फंसा देता है. फिर शुरू होती है बेचैनी, डर, और रातों की नींद उड़ जाने की एक अंतहीन यात्रा. तंत्र-मंत्र, भय, और बाहरी उपायों पर विश्वास बढ़ता है, लेकिन भीतर की स्थिरता कम होती जाती है.
राहु का प्रभाव केवल मानसिक नहीं होता, यह चरित्र को भी प्रभावित करता है. व्यक्ति निर्णय लेने में असमर्थ हो जाता है. हर किसी पर शक करने लगता है, मन षड्यंत्रों की खेती करने लगता है. ऐसा व्यक्ति अनावश्यक दुश्मनों को जन्म देता है, और अपने ही बनाए भ्रम में फंसता चला जाता है.
बेईमानी, धोखा, और वासना की अति — यह राहु के प्रभाव में डूबे व्यक्ति की पहचान बन जाती है. शराब और मांस का अत्यधिक सेवन, अचानक दुर्घटनाओं की वृद्धि, और सबसे कष्टदायक — घर में बढ़ता क्लेश, टूटते रिश्ते, और दिमाग में स्थायी भ्रम.
राहु क्या करता है
राहु आपका चैन नहीं छीनता, वह आपकी "संतुलन" की ताकत को कमजोर करता है. वह आपको स्वयं से अलग कर देता है. आपको यह यकीन दिला देता है कि आप ही सबसे ज़्यादा जानते हैं, जबकि आप अपनी ही सोच के भ्रम में कैद हो जाते हैं.
तो क्या राहु से छुटकारा संभव है
हाँ, संभव है, लेकिन यह राहु को नष्ट करने से नहीं, उसे समझने और स्वीकार करने से शुरू होता है. जीवन में स्वच्छता, शौचालय और रसोई जैसे स्थलों को शुद्ध रखना, मन को ध्यान के माध्यम से स्थिर करना, अतीत को स्वीकारना और भविष्य के सपनों को वर्तमान की मेहनत से जोड़ना — ये सब राहु के जाल को काटने की शुरुआत हैं.
नीले रंग का उपयोग, राहु की शांति हेतु मंत्र-जप (जैसे “ॐ रां राहवे नमः”), सात्विक भोजन, सत्य के मार्ग पर चलना, और गुरु या जीवन के मार्गदर्शक की शरण में जाना — यह सब मिलकर राहु की परछाई को धुंधला कर सकते हैं.
राहु एक परछाई है, डर की तरह. जितना भागोगे, उतना पीछा करेगा. लेकिन जैसे ही तुम रुककर उसे देख लोगे, वह बिखर जाएगा. अपने भीतर के डर, लालसा, छल और भ्रम को देखो. स्वीकारो. और फिर, उन्हें बदल दो.
क्योंकि राहु केवल बाधा नहीं है, वह तुम्हें सचेत करने वाला ग्रह है. उसकी छाया में ही तुम्हारा सबसे बड़ा आत्मबोध छिपा है.
राहु का अशुभ प्रभाव: जीवन में छाया हुआ भ्रम का अंधकार
प्रेषित समय :20:26:02 PM / Thu, May 22nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर