तिथि अनुसार देवी पूजन और उसका फल

तिथि अनुसार देवी पूजन और उसका फल

प्रेषित समय :00:22:01 AM / Tue, Jun 3rd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथिमें घृतसे देवीकी - पूजा करनी चाहिये और ब्राह्मणको घृतका दान करना चाहिये; ऐसा करनेवाला सदा निरोग रहता है ॥ ६ ॥
द्वितीया तिथिको शर्करासे जगदम्बाका पूजन करना चाहिये और विप्रको शर्कराका ही दान करना चाहिये; ऐसा करनेवाला मनुष्य दीर्घजीवी होता है॥ ७ ॥
तृतीया तिथिको भगवतीके पूजनकर्ममें उन्हें ७ दुग्ध अर्पण करना चाहिये और श्रेष्ठ ब्राह्मणको दुग्धका दान करना चाहिये; ऐसा करनेसे मनुष्य सभी प्रकारके दुःखोंसे मुक्त हो जाता है॥ ८ ॥
चतुर्थीके दिन पूआ अर्पण करके देवीका पूजन करना चाहिये और ब्राह्मणको पूआ ही दान करना चाहिये; ऐसा करनेसे मनुष्य विघ्न बाधाओंसे आक्रान्त २ नहीं होता ॥ ९ ॥
पंचमी तिथिको भगवतीका पूजन करके उन्हें केला अर्पण करे और ब्राह्मणको केलेका ही दान करे; ऐसा करनेसे मनुष्य बुद्धिमान् होता है ॥ १० ॥
षष्ठी तिथिको भगवतीके पूजनकर्ममें मधुको प्रधान बताया गया है। ब्राह्मणको मधु ही देना चाहिये; ऐसा करनेसे मनुष्य दिव्य कान्तिवाला हो जाता है ॥ ११ ॥
हे मुनिश्रेष्ठ ! सप्तमी तिथिको भगवतीको गुड़का नैवेद्य अर्पण करके ब्राह्मणको गुड़का दान करनेसे मनुष्य सभी प्रकारके शोकोंसे मुक्त हो जाता है ॥ १२ ॥
अष्टमीको भगवतीको नारियलका नैवेद्य अर्पित करना चाहिये और ब्राह्मणको भी नारियलका दान करना चाहिये; ऐसा करनेवाला मनुष्य सभी सन्तापोंसे रहित हो जाता है ॥ १३ ॥
नवमीके दिन भगवतीको लावा अर्पण करनेके बाद ब्राह्मणको भी लावाका दान करनेसे मनुष्य इस लोकमें तथा परलोकमें परम सुखी रहता है ॥ १४ ॥
हे मुने ! दशमी तिथिको भगवतीको काले तिल अर्पित करने और ब्राह्मणको उसी तिलका दान करनेसे मनुष्यको यमलोकका भय नहीं रह जाता ॥ १५ ॥
जो मनुष्य एकादशी तिथिको भगवतीको दधि अर्पित करता है और ब्राह्मणको भी दधि प्रदान करता है, वह देवीका परम प्रिय हो जाता है ॥ १६ ॥
हे मुनिश्रेष्ठ ! जो द्वादशीके दिन भगवतीको चिउड़ेका भोग लगाकर आचार्यको भी चिउड़ेका दान करता है, वह भगवतीका प्रियपात्र बन जाता है ॥ १७ ॥
जो त्रयोदशीको भगवतीको चना अर्पित करता है और ब्राह्मणको चनेका दान करता है, वह प्रजाओं तथा सन्तानोंसे सदा सम्पन्न रहता है ॥ १८ ॥
हे देवर्षे ! जो मनुष्य चतुर्दशीके दिन भगवतीको सत्तू अर्पण करता है और ब्राह्मणको भी सत्तू प्रदान करता है, वह भगवान् शंकरका प्रिय हो जाता है ॥ १९ ॥
जो पूर्णिमा तिथिको भगवती अपर्णाको खीरका भोग लगाता है और श्रेष्ठ ब्राह्मणको खीर प्रदान करता है, वह अपने सभी पितरोंका उद्धार कर देता है ॥ २० ॥
Astro nirmal.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-