सुप्रीम कोर्ट ने कहा यूनियन कार्बाइड कचरे पर अब कोई विचार नहीं, पहले ही बहुत समय गवां चुके

सुप्रीम कोर्ट ने कहा यूनियन कार्बाइड कचरे पर अब कोई विचार नहीं, पहले ही बहुत समय गवां चुके

प्रेषित समय :19:26:21 PM / Wed, Jun 4th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, इंदौर/भोपाल/दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आज पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने संबंध याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है. याचिकाकर्ता व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ चिन्मय मिश्र ने इस संबंध में याचिका दायर की थी. उन्होंने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील की थी, जिसमें हाई कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के रासायनिक कचरे को पीथमपुर में जलाए जाने का निर्देश दिया था.

हाईकोर्ट ने 27 मार्च 2025 को पारित आदेश में राज्य सरकार को भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में 1984 में हुए गैसकांड के बाद वहां बचे रासायनिक कचरे को पीथमपुर की एक फैक्ट्री में स्थित इंसीनरेटर में जलाने के लिए 72 दिन का समय दिया था. डॉ मिश्र की इस याचिका पर याचिका के इंटरविनर अशोक कुमार वासुदेवन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 72 दिन की अवधि 8 जून को खत्म हो रही है. इसलिए इस केस की तत्काल सूचीबद्ध कर सुनवाई की जाए. जिसपर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय करोल व सतीश चंद्र शर्मा की डबल बैंच ने कहा कि हम कितने सालों से इस कचरे को हटाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन इतने सालों से ये तथाकथित एनजीओर (गैर सरकारी संगठन) व  सामाजिक कार्यकर्ता इसे होने नहीं दे रहे. उच्च न्यायालय मामले की निगरानी कर रहा है. विशेषज्ञों की देखरेख में इसका निपटारा किया जा रहा है.

वासुदेवन ने जोर देकर कहा कि यह मुद्दा सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा है और प्रतिकूल परिणामों की आशंका है. इसलिए तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने इस बारे में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के सामने भी अपील की थी. जहां इस पर विचार नहीं किया है. फिर आपने इस अदालत का दरवाजा खटखटायाए इस पर विचार नहीं किया गया. अब आप छुट्टियों के बीच इस पर रोक चाहते हैं. हमें बहुत खेद है, लेकिन हम इस पर विचार नहीं करेंगे. डॉ चिन्मय मिश्र ने अपनी याचिका में यह बताया था कि इंदौर शहर पीथमपुर से 30 किलोमीटर दूर है और गंभीर नदी इस शहर के नजदीक से बहती है जो यशवंत सागर बांध को पानी उपलब्ध कराती है. जो इंदौर की 40 प्रतिशत आबादी को पेयजल उपलब्ध कराता है. हालांकि कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-