जब कुंडली में मंगल लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और व्यय भाव मे हो तो जातक मंगली होता है, और यदि इसमें मंगल के साथ राहु भी हो तो ये अंगारक योग होता है, मांगलिक और अंगारक दोष में बारहवें और आठवें भाव का मंगलत खास रूप से भारी होता है, ये मंगल विवाह के समय सही तरीके से इस दोष का निवारण या समझ का अभाव हो तो पूरा जीवन तबाह कर देता है.
मंगल दोष होना और इसकी शांति करना पहली बात है , मंगल दोष से आपका गुस्सा किस तरह से आपके जीवन को खराब कर सकता है ये दूसरी बात है, ऐसे लोगों का जीवन गुस्से और जिद के कारण ही बिगड़ता है, ये लोग मन के सच्चे और भावुक होते है, लेकिन गुस्से में इनका नियंत्रण नहीं होता फलस्वरूप लोग इनकी कमजोरी का फायदा उठाते है, प्रभु श्रीराम और सूर्य देवता की कृपा से ये नियंत्रण में आता है.
*इंदौर के शिलांग मृत राजा की कुंडली में आठवें स्थान मे मंगल और राहु बैठे थे,28 साल में उसका असर कम हो जाता है ये दकियानूसी है, क्योंकि राजा की मृत्यु 29 की उम्र में हथियार से हुई, उसको मारने वाले भी मंगोल लोग ही होंगे, छोटी आंखों वाली प्रजाति मंगोल ही कहलाती है, कुंडली में आठवें भाव खुद की और अपने जीवनसाथी की आयु कर भी होता है इस भाव में मंगल राहु ने षड्यंत्र और लूटपाट का कारण बना, निश्चित रूप से इस कार्य में वहां की लोकल गैंग जो तस्कर भी है उनका हाथ हो सकता है, कोई भी पर्यटन वाला राज्य अपनी गलत चीजें इसलिए छुपाता है ताकि लोग उनके यहां आते रहे.
*पंडित चंद्रशेखर नेमा हिमांशु*(9893280184)
मां कामख्या साधक जन्मकुंडली विशेषज्ञ वास्तु शास्त्री