धन और ज्ञान के कारक बृहस्पति मिथुन राशि में रहते हुए 9 जून 2025 की शाम 04 बजकर 12 मिनट पर अस्त हो रहे हैं और यह 9 तथा 10 जुलाई तक अस्त रहने वाले हैं.हालांकि गुरु ग्रह के अस्त होने को लेकर अलग-अलग पंचांगों में थोड़ा बहुत अंतर भी देखने को मिल रहा है. कुछ पंचांग बृहस्पति के अस्त होने की अवधि 12 जून 2025 से लेकर 9 जुलाई 2025 तक मान रहे हैं तो वहीं गुरु ग्रह 10 जून 2025 से 7 जुलाई 2025 तक अस्त रहने वाले हैं._*
*_बृहस्पति मिथुन राशि में अस्त 09 जून 2025 को होने जा रहा है._*
*_यह राशिफल आपकी चंद्र राशि पर आधारित है.बृहस्पति का मिथुन राशि में अस्त: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय_*
*_मेष राशि : बृहस्पति आपकी कुंडली में भाग्य तथा द्वादश भाव के स्वामी होते हैं औरबृहस्पति मिथुन राशि में अस्त आपके तीसरे भाव में होगा. क्योंकि तीसरे भाव में बृहस्पति के गोचर को सामान्य तौर पर अनुकूल परिणाम देने वाला नहीं माना जाता. ऐसी स्थिति में बृहस्पति कुछ हद तक विरुद्ध या कमजोर परिणाम देने का काम करते हैं. इसलिए बृहस्पति के अस्त होने से नकारात्मकता में कमी आएगी. अर्थात आपको कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि बेकार की यात्राओं में कमी देखने को मिल सकती है. वहीं पड़ोसियों और भाई बंधुओं के साथ संबंधों को सुधारने की पहल सकारात्मक परिणाम दे सकती है. सरकारी कामों से भी सकारात्मकता की उम्मीद की जा सकती है. हालांकि कुछ एक मामलों में आप ऐसा महसूस कर सकते हैं कि भाग्य तुलनात्मक रूप से कम साथ दे रहा है लेकिन कर्म करने की स्थिति में सामान्य तौर पर अनुकूल परिणाम मिलते रहेंगे._*
*_उपाय: मां दुर्गा की पूजा अर्चना करना शुभ रहेगा._*
*_वृषभ राशि : बृहस्पति आपकी कुंडली में आठवें तथा लाभ भाव के स्वामी होते हैं औरबृहस्पति मिथुन राशि में अस्त आपके दूसरे भाव में होगा. क्योंकि दूसरे भाव में बृहस्पति के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला माना जाता है. अतः बृहस्पति का अस्त होना आपके लिए थोड़ा सा कमजोर परिणाम देने वाला माना जाएगा. बृहस्पति के अस्त होने के कारण आमदनी के स्रोत थोड़े से प्रभावित हो सकते हैं. अर्थात कमजोर हो सकते हैं.
*_उपाय: यथा समर्थ जरूरतमंद बुजुर्गों को कपड़े दान करना शुभ रहेगा._*
*_मिथुन राशि : बृहस्पति आपकी कुंडली के लिए सप्तम भाव के स्वामी होने के साथ-साथ कर्म स्थान के भी स्वामी होते हैं औरबृहस्पति मिथुन राशि में अस्त आपके पहले भाव में होगा. सप्तमेश के अस्त होने के कारण दैनिक रोजगार संबंधी मामलों में तुलनात्मक रूप से थोड़ा धीमापन देखने को मिल सकता है. विवाह आदि की बातें चल रही थीं, तो उन मामलों में भी कुछ विलंब हो सकता है. वहीं दांपत्य संबंधी मामलों में आई हुई रौनक थोड़ी सी फ़ीकी हो सकती है. अर्थात अस्त होने के कारण चीजें पहले की तुलना में कुछ धीमी हो सकती हैं लेकिन कोई बड़ी नकारात्मकता नहीं आएगी._*
*_कार्यक्षेत्र से संबंधित मामलों में भी कुछ ऐसे ही परिणाम देखने को मिल सकते हैं. क्योंकि कर्म स्थान पर शनि का गोचर हो रहा है. अतः उस कारण भी कार्यक्षेत्र में कुछ धीमापन देखने को मिल सकता है. ऊपर से कर्म स्थान के स्वामी का अस्त हो जाना धीमेंपन के ग्राफ को और अधिक बढ़ा सकता है. क्योंकि गोचर शास्त्र में प्रथम भाव में गुरु के गोचर को अच्छा नहीं माना गया है उस दृष्टिकोण से देखें तो अस्त होने के कारण गुरु का गोचर आपके लिए फायदेमंद हो सकता है लेकिन दोनों दृष्टिकोण से अर्थात स्वामित्व के आधार पर और प्लेसमेंट के आधार पर दोनों तरह से देखा जाय तो गुरु के अस्त होने से कोई बड़ा नकारात्मक प्रभाव आप पर देखने को नहीं मिलेगा. कुछ मामलों में अड़चनें देखने को मिलेंगी. तो वहीं कुछ मामलों में अनुकूल विचार सफलता दिलाने का काम करेंगे._*
*_उपाय: गाय को देसी घी लगी हुई रोटी खिलाना शुभ रहेगा._*
*_कर्क राशि : बृहस्पति आपकी कुंडली में छठे तथा भाग्य भाव के स्वामी होते हैं औरबृहस्पति मिथुन राशि में अस्त द्वादश भाव में होगा. वैसे तो द्वादश भाव में बृहस्पति के गोचर को अच्छा नहीं माना जाता, ऐसे में अस्त होने के कारण बृहस्पति कुछ मामलों में आपके लिए अनुकूलता भी दे सकते हैं. अर्थात यदि पिछले कुछ दिनों से आपके खर्च बढ़ गए थे तो उनमें कमी देखने को मिल सकती है.
*_उपाय: साधु, संत और गुरुजनों की सेवा करना शुभ रहेगा._*
*_सिंह राशि : बृहस्पति आपकी कुंडली के लिए पांचवें तथा आठवें भाव के स्वामी होते हैं और बृहस्पति मिथुन राशि में अस्त आपके लाभ भाव में गोचर करते हुए अस्त हो रहे हैं. लाभ भाव में गोचर करने वाले ग्रह का अस्त होना लाभ के ग्राफ को कमजोर करने का काम कर सकता है. अतः बृहस्पति के अस्त होने से पिछले दिनों से आई हुई अनुकूलता थोड़ी सी कम हो सकती है. अर्थात बृहस्पति का अस्त होना आपके लिए नकारात्मक परिणाम नहीं दिलाएगा लेकिन सकारात्मकता का ग्राफ थोड़ा सा काम हो सकता है. प्रेम संबंधों में थोड़ी सी कमजोरी रह सकती है._*
*_यद्यपि प्रेम संबंध बरकरार रहेंगे,
*_उपाय: पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना शुभ रहेगा._*
कन्या राशि : बृहस्पति आपकी कुंडली में चौथे तथा सातवें भाव के स्वामी होते हैं और बृहस्पति मिथुन राशि में अस्त आपके कर्म स्थान में गोचर करते हुए अस्त हो रहे हैं. वैसे तो दशम भाव में गुरु के गोचर को अच्छा नहीं माना जाता. गोचर शास्त्र में कहा गया है कि दशम भाव में गुरु का गोचर मानहानि करवाता है. ऐसे में अस्त होने के कारण मानहानि का पैदा हुआ भय अब दूर हो जाएगा. अर्थात यदि किसी कारण से आपको अपने सम्मान में कोई कमी महसूस हो रही थी तो अब वह कभी दूर हो जाएगी और आप बेहतरी का अनुभव कर सकेंगे._*
*_उपाय: गुरुवार के दिन मंदिर में बादाम चढ़ाना शुभ रहेगा._*
*_तुला राशि : बृहस्पति आपकी कुंडली में तीसरे तथा छठे भाव के स्वामी होते हैं औरबृहस्पति मिथुन राशि में अस्त आपके भाग्य भाव में होगा. क्योंकि सामान्य तौर पर भाग्य भाव में बृहस्पति के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला माना जाता है. बृहस्पति के अस्त होने के कारण अच्छाइयों के ग्राफ में थोड़ी सी कमजोरी देखने को मिल सकती है. धार्मिक यात्राओं पर जाने वाला प्लान कैंसिल हो सकता है या उसमें कुछ देरी देखने को मिल सकता है. संतान आदि से संबंधित मामलों में भी थोड़ा सा फीकापन देखने को मिल सकता है. कोई काम सफलता के नजदीक पहुंचकर रुक सकता है या धीमा हो सकता है.
*_उपाय: नियमित रूप से मंदिर जाना शुभ रहेगा._*
*_वृश्चिक राशि : बृहस्पति आपकी कुंडली के लिए दूसरे तथा पांचवें भाव के स्वामी होते हैं औरबृहस्पति मिथुन राशि में अस्त आपके आठवें भाव में होगा. क्योंकि अष्टम भाव में बृहस्पति के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना जाता. अतः अस्त होने के कारण बृहस्पति नकारात्मकता को समेटने का काम कर सकते हैं. यदि पिछले दिनों स्वास्थ्य कमजोर रहा है, तो गुरु के अस्त होने से वह कमजोरी दूर होगी. अर्थात आपका स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है. कामों में आ रही रुकावटें कम हो सकती हैं. शासन प्रशासन से जुड़े मामलों में यदि कहीं से कोई रुकावट या परेशानी रही है, तो वह भी अब दूर हो सकती है._*
*_उपाय: मंदिर में घी और आलू का दान करना शुभ रहेगा._*
*_धनु राशि : बृहस्पति आपकी कुंडली के लिए आपके लग्न या राशि के स्वामी होने के साथ-साथ चौथे भाव के भी स्वामी होते हैं औरबृहस्पति मिथुन राशि में अस्त आपके सातवें भाव में होगा. क्योंकि सप्तम भाव में बृहस्पति के गोचर को अनुकूल परिणाम देने वाला माना जाता है, ऐसे में बृहस्पति का अस्त होना अनुकूलता में कमी देने का काम कर सकता है. चतुर्थ भाव के स्वामी के अस्त होने के कारण घर गृहस्थी से संबंधित कुछ परेशानियां देखने को मिल सकती हैं. ऊपर से शनि का गोचर चतुर्थ भाव में बना हुआ है जो बृहस्पति के अस्त होने की स्थिति में नकारात्मकता के ग्राफ को बढ़ा सकता है._*
*_उपाय: भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करना शुभ रहेगा._*
*_मकर राशि : बृहस्पति आपकी कुंडली के तीसरे भाव के स्वामी होते हैं साथ ही साथ ही आपके लिए द्वादश भाव के भी स्वामी होते हैं तथा वर्तमान में छठे भाव में गोचर करते हुए अस्त हो रहे हैं. क्योंकि छठे भाव में बृहस्पति के गोचर को अच्छा नहीं माना जाता. ऐसे में बृहस्पति का अस्त होना आपके लिए फायदेमंद रह सकता है. सरकारी कामों को लेकर यदि किसी तरह की कोई अड़चन हाल फिलहाल उत्पन्न हुई थी तो बृहस्पति के अस्त होने के कारण वह अड़चन दूर हो सकती है. संतान से संबंधित मामले में भी हाल फिलहाल यदि कोई परेशानी आई थी तो वह भी अब ठीक हो सकती है. आपका स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है._*
*_उपाय: मंदिर के बुजुर्ग पुजारी को कपड़े दान करना शुभ रहेगा._*
*_कुम्भ राशि : बृहस्पति आपकी कुंडली के दूसरे तथा लाभ भाव के स्वामी होते हैं और वर्तमान में यह आपके पंचम भाव में गोचर करते हुए अस्त हो रहे हैं. क्योंकि पंचम भाव में बृहस्पति के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला माना जाता है, ऐसे में बृहस्पति का अस्त होना अच्छाई में कमी कर सकता है. हालांकि किसी भी तरह की कोई नकारात्मकता नहीं आएगी लेकिन अच्छाई के ग्राफ में कमी होने के कारण गुरु के अस्त होने को हम आपके लिए अनुकूल घटना नहीं मानेंगे. शिक्षा में जो तरक्की अपने हाल फिलहाल महसूस की थी उसमें थोड़ी सी कमी देखने को मिल सकती है._*
*_लाभ का ग्राफ भी थोड़ा सा कम हो सकता है. संतान से संबंधित मामलों में छोटी-मोटी चिंताएं देखने को मिल सकती हैं. प्रमोशन में देरी हो सकती है. बृहस्पति के अस्त रहने की अवधि में शेयर मार्केट या सट्टा बाजार आदि से संबंधित कोई जोखिम उठाना ठीक नहीं रहेगा. आर्थिक और पारिवारिक मामले में अपेक्षाकृत अधिक सावधानी पूर्वक निर्वाह करने की आवश्यकता रहेगी. उधार के लेनदेन से बचना भी समझदारी का काम होगा. कहने का तात्पर्य है कि गुरु का यह गोचर आपके लिए अनुकूल है लेकिन गुरु का अस्त होना अनुकूलता में कुछ हद तक कमी कर सकता है. फिर भी आपको किसी भी तरह की नकारात्मकता मिलने की संभावना नहीं है._*
*_उपाय: साधु संतों की सेवा करना शुभ रहेगा._*
*_मीन राशि` : बृहस्पति आपके लग्न या राशि के स्वामी ग्रह तो होते ही हैं, साथ ही साथ यह आपके कर्म स्थान के भी स्वामी होते हैं. ऐसे महत्वपूर्ण स्थान के स्वामी का चौथे भाव में रहते हुए अस्त हो जाना कुछ मामलों में कमजोर तो कुछ मामलों में अच्छे परिणाम भी दे सकता है. क्योंकि लग्न या राशि के स्वामी अस्त हो रहे हैं लिहाजा आपको अपने स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखना होगा. साथ ही साथ अपनी मान प्रतिष्ठा और इज्जत का भी ख्याल रखना भी जरूरी रहेगा._*
*_जमीन जायदाद से संबंधित नए सिरे से उपजी हुई कठिनाई अब ठीक हो सकती है. माता के स्वास्थ्य में भी सुधार देखने को मिल सकता है. यदि किसी का स्थानांतरण आपकी इच्छा के विरुद्ध हुआ था और आप स्थानांतरण रोकने के प्रयास में भी हैं, तो बहुत संभव है कि अब वह स्थानांतरण रुक सकता है. अर्थात बृहस्पति का अस्त होना कई मामलों में आपके लिए फायदेमंद रह सकता है ._*
*उपाय - बड़े बुजुर्गो की सेवा करने से लाभ होगा.
गुरु के मिथुन राशि में अस्त होने से किस तरह के प्रभाव देखने को मिलेंगे?
प्रेषित समय :22:30:13 PM / Tue, Jun 10th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर