नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार 2029 के आम चुनावों से पहले लोकसभा व राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लागू करने पर विचार कर रही है. महिला आरक्षण प्रावधान संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के नए परिसीमन के बाद ही लागू होंगे. वर्तमान में 2026 तक परिसीमन पर वैधानिक रोक है. उसके बाद किसी भी परिसीमन को आगे बढ़ाने के लिएए एक संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी. जिसके लिए संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता होगी.
सूत्रों के अनुसार यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक तैयारियां चल रही हैं कि एक बार रोक हटने के बाद परिसीमन अभ्यास शुरू किया जा सके. एक परिसीमन आयोग का गठन किया जाएगा और यह उम्मीद की जाती है कि वह राज्यों का दौरा करेगा, प्रतिनिधित्व एकत्र करेगा और किसी भी बदलाव की सिफारिश करने से पहले एक रिपोर्ट तैयार करेगा. दक्षिणी राज्यों ने ऐतिहासिक रूप से जनसंख्या नियंत्रण पर बेहतर प्रदर्शन किया है, चिंता व्यक्त की है कि वर्तमान जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर नए परिसीमन से संसद में उनका प्रतिनिधित्व कम हो सकता है.
अधिकारियों ने कहा है कि दक्षिणी राज्यों की राजनीतिक भागीदारी से समझौता नहीं किया जाएगा. यह सुनिश्चित करने के लिए तंत्र पर विचार किया जा रहा है कि प्रतिनिधित्व समान रहे और जनसंख्या नियंत्रण में सफल रहे राज्यों को नए सीट-शेयरिंग फॉर्मूले में नुकसान न हो. गौरतलब है कि वर्तमान में 17वीं लोकसभा में केवल 15 प्रतिशत महिला सांसद हैं. वही राज्यसभा में सिर्फ 12.2 प्रतिशत महिला सांसद हैं. यह वैश्विक औसत 25.5 प्रतिशत से काफी कम है.
भारत के सभी राज्यों में कुल विधायकों में से केवल 8 प्रतिशत ही महिलाएं हैं. अगली जनगणना जो मूल रूप से 2021 के लिए निर्धारित थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण विलंबित हो गई. अब प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग करके आयोजित किए जाने की उम्मीद है. खबर है कि जनगणना में 16 भारतीय भाषाओं में डेटा संग्रह का समर्थन करने वाले एक मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग किया जाएगा. साथ ही आधार सत्यापन को भी एकीकृत किया जाएगा. इसके अलावा जनगणना प्रक्रिया में बायोमेट्रिक डेटा संग्रह व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल शामिल किए जाएंगे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-