MP: सीएम बोले, स्कूलों में पढ़ाया जाएगा रानी दुर्गावती का इतिहास, जबलपुर में बनेगा रानी के नाम पर चिडिय़ाघर

सीएम बोले, स्कूलों में पढ़ाया जाएगा रानी दुर्गावती का इतिहास

प्रेषित समय :19:40:18 PM / Tue, Jun 24th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के सीएम मोहन आज रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर जबलपुर के नरई नाला पहुंचे. यह वही स्थान है जहां पर रानी दुर्गावती को 462 साल पहले धोखे से मार दिया गया था. वीरांगना रानी दुर्गावती का आज 462वां बलिदान दिवस है.

इस दौरान सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा कि लोकसभा व राज्यसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण की तैयारी चल रही है. भारतीय जनता पार्टी हमेशा ही महिलाओं के सम्मान में आगे रहेगी. रानी दुर्गावती योजना, जिसके जरिए आदिवासियों के अनाज मिलेट्स को हम 4000 प्रति क्विंटल तक का अनुदान दे रहे हैं. डॉ मोहन यादव ने कहा कि इसके पहले हमने चंद्रशेखर आजाद की कहानी सुनी थी, जिन्होंने यह कहा था कि आजाद जिए हैं, आजाद ही मारेंगे. मुझे ऐसा लगता है कि चंद्रशेखर आजाद ने रानी दुर्गावती से ही यह प्रेरणा ली होगी.

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने रानी दुर्गावती के सेनापति आधार सिंह को भी याद किया. उन्होंने कहा कि आधार सिंह ने इस क्षेत्र के जल प्रबंधन के लिए बड़ा काम किया है. सीएम ने कहा कि जबलपुर नगर निगम रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर जो मैराथन दौड़ का आयोजन करवाता है. उसे मैराथन दौड़ के स्टैंडर्ड पर लाना चाहिए. इस मौके पर मोहन यादव ने?500000 की राशि दी है. कार्यक्रम के दौरान लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंहए सांसद आशीष दुबे सहित अन्य विधायकए नेता भी मौजूद रहे.

पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएगा रानी दुर्गावती का इतिहास-

हम पाठ्यक्रम में रानी दुर्गावती के इतिहास को जोड़ रहे हैं ताकि भविष्य रानी दुर्गावती जैसी महारानियों का इतिहास जानती रहेगी. रानी दुर्गावती का इतिहास स्कूली बच्चों को भी पढ़ाया जाएगा. रानी दुर्गावती ने 52 लड़ाई लड़ी थी. जिनमें से 51 जीतेए 23000 से ज्यादा गांव पर उन्होंने सफलतापूर्वक राज किया.

रानी दुर्गावती के नाम पर जबलपुर में खुलेगा चिडिय़ाघर-

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रानी दुर्गावती के नाम पर जबलपुर में एक चिडिय़ाघर खोलने की घोषणा की है. यह स्थान केवल चिडिय़ाघर नहीं होगा बल्कि यह एक रेस्क्यू सेंटर होगा. जहां लाए गए जानवरों को भी रखा जा सकेगा. यह चिडिय़ाघर ठाकुर लाल के पास खोला जाएगा.

जहां रानी को वीरगति मिली-

जबलपुर-बरगी रोड पर स्थित ग्राम बरहा के पास वह स्थान है. जहां रानी दुर्गावती वीरगति को प्राप्त हुई थीं. इसी स्थान पर नरई नाला के समीप उनका समाधि स्थल स्थित है. रानी दुर्गावती के बलिदान व वीरता को आज भी श्रद्धा से याद किया जाता है. उनके सम्मान में भारत सरकार ने 24 जून 1988 को डाक टिकट जारी किया था. रानी ने 16 सालों तक शासन किया. इस दौरान अनेक मंदिर, मठ, कुएं, बावड़ी व धर्मशालाओं का निर्माण करवाया.

पीएम मोदी ने रखी थी स्मारक की आधारशिला-

जबलपुर में रानी दुर्गावती की 52 फीट ऊंची प्रतिमा सहित 100 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले स्मारक की आधारशिला 5 अक्टूबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी. भारत में गौंड राजवंश की महान रानी दुर्गावती को उनके अद्भुत साहस और बलिदान के लिए याद किया जाता है. उन्होंने मुगल सेना से अपनी मातृभूमि और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान दिया.

दुर्गाष्टमी पर जन्मए इसलिए नाम पड़ा दुर्गावती-

रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को बांदा जिले के कालिंजर किले में हुआ था. दुर्गाष्टमी पर जन्म लेने के कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया. वे कालिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल की इकलौती संतान थीं. अपने नाम के अनुरूप ही रानी दुर्गावती ने साहस, शौर्य व सुंदरता के कारण ख्याति प्राप्त की. उनका विवाह गोंडवाना राज्य के राजा संग्राम शाह के पुत्र दलपत शाह से हुआ था. विवाह के चार साल बाद ही राजा दलपत शाह का निधन हो गया. उस समय रानी दुर्गावती का पुत्र नारायण केवल तीन वर्ष का था. अत: उन्होंने स्वयं गढ़मंडला का शासन संभाल लिया.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-