देख सजनी ! देख ऊपर

देख सजनी ! देख ऊपर

प्रेषित समय :18:59:37 PM / Wed, Jun 25th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण"

देख सजनी ! देख ऊपर।।

आ रही है मेघमाला।।

बम सरीखी गड़गड़ाती,रेल जैसी दड़दड़ाती।

इंजनों सी धड़धड़ाती, फुलझड़ी सी तड़तड़ाती।।

पल्लवों को खड़बड़ाती,पंछियों को फड़फड़ाती।

पड़पड़ाती पापड़ों सी, बोलती है कड़कड़ाती।।

भागती तो भड़भड़ाती, बावरी सी बड़बड़ाती।

हड़बड़ाती, जड़बड़ाती, दिग्गजों को खड़खड़ाती।।

सिर उठाकर देख ऊपर।। और ऊपर और ऊपर।। 

आ रही है मेघमाला। 

देख सजनी ! देख ऊपर।।

वह पुरन्दर की परी सी घेर अम्बर, और अन्दर,और अन्दर। 

कर चुकी है श्यामसुन्दर से स्वयंवर।। 

रिक्ष बन्दर सी कलन्दर वह मुकद्दर की सिकन्दर।

हो धुरन्धर सींच अंजर और पंजर बाग बंजर।।

कर समुन्दर को दिगम्बर फिर बवण्डर सा उठाती।

बन्द बिरहिन का कलेजा खोल खंजर सा चलाती।।

आ रही है मेघमाला।

देख सजनी ! देख ऊपर।।

भामिनी सी कामिनी सहगामिनी मृदुयामिनी सी।

वामिनी गजगामिनी ले दामिनी मनस्वामिनी सी।।

रागिनी घनवादिनी पंचाननी सौभागिनी सी।

जामुनी हंसासनी सी सावनी मधु चासनी सी ।।

जीवनी में घोलती संजीवनी सा रस बहाती।

तरजनी सी मटकनी कुछ कटखनी बातें बनाती।।

आ रही है मेघमाला।

देख सजनी ! देख ऊपर।।

-   गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण"

"वृत्तायन" 957, स्कीम नं. 51

इन्दौर पिन- 452006 म.प्र.

मो.9424044284/6265196070

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-