कोटा. पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा मंडल के इंजीनियरिंग विभाग में यह कहावत पूरी तरह चरितार्थ हो रही है- अंधा बांटे रेवड़ी-चीन्ह-चीन्ह कर दे. यानी योग्यता, वरिष्ठता का कोई मापदंड नहीं है, केवल एकमात्र योग्यता है, साहबों की जी-हुजूरी. ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां पर दो जूनियर इंजीनियर्स को पदोन्नति पर सीधे एसएसई (डिपो इंचार्ज) के पद पर पोस्टिंग दी गई है, जहां पर वे अपने से काफी सीनियर्स के ऊपर बॉसगिरी करेंगे. इस निर्णय से विभाग के अंदरखाने प्रभावितों में आक्रोश पनप रहा है एवं उनमें धीरे धीरे काम के प्रति निराशा छाती जा रही है.
उल्लेखनीय है कि कोटा मंडल में इंजीनियरिंग (पीवे) विभाग में नियम विरुद्ध कार्य किये जाने की लगातार शिकायतें सामने आती रही हैं, लेकिन इस बार तो वरिष्ठ अधिकारियों ने सारी परम्पराएं, नियमों को ही ताक पर रख दिया है. संबंधित इंजीनियरिंग अधिकारियों द्वारा अपने खासमखास चहेते सीनियर सेक्शन इंजीनियर जिसको अपने पहले ही प्रमोशन पर इंदरगढ़ पीवे का इंचार्ज बना दिया, जबकि मंडल में एवं इंद्रगढ़ में ही इनसे अधिक वरिष्ठ व योग्य एसएसई उपलब्ध थे और उनकी एपीएआर भी बहुत शानदार व आउट स्टैंडिंग रही है. परंतु साहब की सेवा करने में निपुण सवाई माधोपुर के कर्मचारी को तोहफा मिला और दिन-रात पूरी मेहनत-ईमानदारी से काम करने वाले वरिष्ठ एसएसई को नजरअंदाज कर दिया गया. इसी तरह 30 जून को रिटायर होने वाले हिंडौन सिटी (पीवे) एसएसई के स्थान पर कनिष्ठतम कर्मचारी की पोस्टिंग की.
30 जून को रिटायर होने वाले एसएसई के ऊपर जूनियर की पोस्टिंग
रेल सूत्रों के मुताबिक संबंधित इंजीनियरिंग की मानसिकता इसी बात से समझी जा सकती है कि उन्होंने अपने चहेते एसएसई को डिपो इंचार्ज बनाने के चक्कर में इस बात का भी ध्यान नहीं रखा कि एक एसएसई जो डिपो इंचार्ज है, वह इसी माह 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहा है. उसके ऊपर जूनियर की पोस्टिंग कर दी. यानी उसके अंडर में वरिष्ठतम एसएसई हाजिरी लगाएंगे.
सीनियर में है आक्रोश, खुलकर सामने नहीं आ रहे
बताया जाता है कि इंजीनियरिंग विभाग में योग्यता, वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए केवल चमचागिरी करने वाले एसएसई को डिपो इंचार्ज बनाये जाने का जो वर्तमान में खेल चल रहा है, उससे वरिष्ठों में जबर्दस्त आक्रोश है. हालांकि खुलकर कोई सामने नहीं आ रहा है, किंतु भविष्य में सीनियर्स की अनदेखी, रेलवे की संरक्षा पर गंभीर विपरीत असर डाल सकता है.
डीआरएम हैं अनुशासनप्रिय, काम कराने में सख्त, उनकी भी अनदेखी
उल्लेखनीय है कि कोटा मंडल के मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) अनिल कालरा काफी अनुशासनप्रिय व नियमों के मुताबिक काम पसंद करने वाले अधिकारी हैं, किंतु उनके मातहत इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारी नियमों को धता बताकर जिस तरह का काम कर रहे हैं, उससे कर्मचारियों के बीच पूरे मंडल की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. माना जा रहा है कि कुछ कर्मचारियों ने डीआरएम के संज्ञान में नियम विरुद्ध पोस्टिंग का मामला लाने की तैयारी कर रहे हैं. इसी तरह कोटा मंडल में डीआरएम व सीनियर डीईएन (कोआर्डिनेशन) नये पदस्थ हुए हैं, पूर्व अधिकारियों, जिन्हें कोटा मंडल में काम करते हुए 3 से 4 साल होने जा रहे हैं, वहीं लोग इस तरह की कारगुजारियां कर रहे हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-