अदालत ने कहा- आई लव यू बोलना सेक्सुअल हैरेसमेंट नहीं, आरोपित बरी!

अदालत ने कहा- आई लव यू बोलना सेक्सुअल हैरेसमेंट नहीं, आरोपित बरी!

प्रेषित समय :20:22:34 PM / Wed, Jul 2nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच का मानना है कि- आई लव यू बोलना सेक्सुअल हैरेसमेंट नहीं है.
खबरों की मानें तो.... बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने पॉक्सो एक्ट के तहत एक व्यक्ति की सजा रद्द करते हुए कहा कि- ’आई लव यू’ कहना यौन इरादा नहीं है.
खबरें हैं कि.... जस्टिस उर्मिला जोशी-फाल्के की बेंच ने वर्ष 2015 में एक किशोरी से छेड़छाड़ करने के आरोपित 35 वर्षीय व्यक्ति को बरी कर दिया, अदालत का कहना है कि- ’आई लव यू’ कहना केवल भावना की अभिव्यक्ति है और अपने आप में सेक्सुअल हैरेसमेंट के बराबर नहीं है.
खबरों पर भरोसा करें तो.... इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने अपने आदेश में कहा कि- किसी भी यौन कृत्य में अनुचित स्पर्श, जबरन कपड़े उतारना, अभद्र इशारे या महिला की गरिमा का अपमान करने के इरादे से की गई टिप्पणियां शामिल है.
उल्लेखनीय है कि.... एक व्यक्ति पर वर्ष 2015 में 17 वर्षीय लड़की को स्कूल से घर जाते समय परेशान करने का आरोप लगा था, उस पर यह भी आरोप था कि- उस व्यक्ति ने लड़की से कहा कि- मैं तुमसे प्यार करता हूं, लड़की घर गई और अपने पिता को बताया, शिकायत पर पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की, जिसके बाद नागपुर की एक सत्र अदालत ने 2017 में भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम के तहत व्यक्ति को दोषी ठहराते हुए उसे तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी.
इस मामले में हाईकोर्ट ने व्यक्ति की सजा को रद्द करते हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति से यह संकेत नहीं मिलता कि उसका इरादा लड़की का सेक्सुअल हैरासमेंट करने का था.
अदालत ने कहा कि ’आई लव यू’ कहने वाले शब्द अपने आप में सेक्सुअल इरादे नहीं होते, जैसा कि कानून द्वारा परिकल्पित है, यह मामला छेड़छाड़ या यौन उत्पीड़न के दायरे में नहीं आता है.
खबरों पर भरोसा करें तो.... इस मामले में अदालत के आदेश में कहा गया है कि- यदि कोई कहता है कि वह किसी अन्य व्यक्ति से प्यार करता है या अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है, तो यह अपने आप में किसी प्रकार का सेक्सुअल इरादा दिखाने का इरादा नहीं होगा!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-