*श्रावण मास के शुभ अवसर पर किसी भी कामना के लिए जैसे
*जन्मकुण्डली में कालसर्प योग, विष योग, गृह क्लेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट, स्वास्थ्य में परेशानिया* आदि सभी कार्यो की बाधाओं को दूर करने के लिए *रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय अनुष्ठान, पार्थिव पूजन आपके अभीष्ट सिद्धि के लिए फलदायक है.* कृपया सावन में किसी भी प्रकार की शिव पूजा अवश्यं करें ......
*रुद्राभिषेक महादेव को प्रसन्न करने का चमत्कारी उपाय है. यदि उचित समय पर रुद्राभिषेक किया जाए, तो महादेव आपको मनचाहा वरदान भी दे सकते हैं. सनातन शास्त्रों का कहना है कि महादेव के हृदय के रुद्र रूप में अभिषेक का विशेष स्थान है.
भक्त तुरंत महादेव की कृपा पाने के लिए उनका रुद्राभिषेक करते हैं.
शिव और रुद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं, *शिव को ही रुद्र कहा जाता है.*
क्योंकि- रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: यानि की भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं.
*हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं.
रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे
*कुण्डली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं* और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं.
*ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है.*
पहला सावन सोमवार- 14 जुलाई, सोमवार
दूसरा सावन सोमवार- 21 जुलाई
तीसरा सावन सोमवार- 28 जुलाई
चौथा सावन सोमवार- 4 अगस्त
रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: अर्थात रुद्र रूप मे विराजमान भगवान शिव हमारे समस्त प्रकार के दु;खो को शीघ्र ही समाप्त कर देते है. रुद्राभिषेक करने से समस्त प्रकार के कष्टो से मुक्ति मिल जाती है.
रुद्र अर्थात भूतभावन शिव का अभिषेक. शिव और रुद्र परस्पर एक-दूसरे के पर्यायवाची हैं. शिव को ही 'रुद्र' कहा जाता है, क्योंकि रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: यानी कि शिव सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं.
हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं. रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारी कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं. ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है.
असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें.
• भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें.
• लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें.
धनवृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें.
• तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है.
• इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है.
• पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें.
• रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है.
• ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/ गंगाजल से रुद्राभिषेक करें.
प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है.
• शकर मिले दूध से अभिषेक करने पर जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है.
सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है.
• शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है.
गोदुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है.
• पुत्र की कामना वाले व्यक्ति शकर मिश्रित जल से अभिषेक करें. ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है
भस्मासुर ने शिवलिंग का अभिषेक अपनी आंखों के आंसुओं से किया तो वह भी भगवान के वरदान का पात्र बन गया. *_कालसर्प योग, गृहक्लेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट सभी कार्यों की बाधाओं को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक आपके अभीष्ट सिद्धि के लिए फलदायक है.
स्वयं सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने भी कहा है कि जब हम अभिषेक करते हैं तो स्वयं महादेव साक्षात उस अभिषेक को ग्रहण करते हैं. संसार में ऐसी कोई वस्तु, वैभव, सुख नहीं है, जो हमें रुद्राभिषेक करने या करवाने से प्राप्त नहीं हो सकता है.
नमक चमक, जिसे रुद्राष्टाध्यायी के नमक (पंचम अध्याय) और चमक (अष्टम अध्याय) के रूप में भी जाना जाता है, रुद्राभिषेक पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसका पाठ करने से विभिन्न लाभ मिलते हैं, जैसे कि धन, संपत्ति और ऐश्वर्या में वृद्धि, संकटों से मुक्ति, अकाल मृत्यु का भय दूर होना, रोगों से छुटकारा, और वैवाहिक जीवन में सुख.*
*नमक चमक का पाठ करने से साधक को धन, संपत्ति और ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है.*
नमक चमक का पाठ करने से जातक किसी भी प्रकार के संकट से मुक्त हो जाता है.
अकाल मृत्यु का भय दूर होना:
नमक चमक का पाठ करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है.
रोगों से छुटकारा:
नमक चमक का पाठ करने से साधक सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो जाता है.
वैवाहिक जीवन में सुख:
नमक चमक का पाठ करने से वैवाहिक जीवन सुखमय हो जाता है.
मोक्ष की प्राप्ति:
प्राचीन मान्यता के अनुसार, लघुरूद्री या "लघुरूद्राभिषेक" कराने से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
*अभीष्ट सिद्धि:*
*_नमक चमक महारुद्राभिषेक अभीष्ट सिद्धि और चमत्कारिक शुभ परिणाम के लिए फलदायक है*
*कालसर्प योग, गृहक्लेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट आदि बाधाओं को दूर करना:*
*नमक चमक रुद्राभिषेक इन समस्याओं को दूर करने में भी सहायक है*,
*पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति:*
*असाध्य रोगों, पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए नमक-चमक रुद्राभिषेक कराया जाता है.*

