पितरों की अनादर के कारण उत्पन्न दोष जीवन में कई प्रकार की कठिनाइयां पैदा कर सकता

पितरों की अनादर के कारण उत्पन्न दोष जीवन में कई प्रकार की कठिनाइयां पैदा कर सकता

प्रेषित समय :20:02:54 PM / Thu, Jul 10th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पितृदोष एक प्रकार का कर्मिक दोष है जो पितरों की अनादर, उपेक्षा, या विस्मृति के कारण उत्पन्न होता है. यह दोष व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की समस्याएं और कठिनाइयां पैदा कर सकता है.
पितृदोष के लक्षण
1. *संतान संबंधी समस्याएं*: संतान न होना, संतान हो तो विकलांग, मंदबुद्धि या चरित्रहीन होना.
2. *व्यवसायिक समस्याएं*: नौकरी, व्यवसाय में हानि, बरकत न होना.
3. *परिवारिक समस्याएं*: परिवार में एकता न होना, अशांति होना.
4. *स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं*: घर के सदस्यों में एक या अधिक लोगों का अस्वस्थ होना, इलाज करवाने पर ठीक न होना.
5. *विवाह संबंधी समस्याएं*: घर के युवक-युवतियों के विवाह में रूकावट आना.
6. *धोखा और विश्वासघात*: अपनों के जरिए धोखा मिलना.
7. *दुर्घटनाएं*: दुर्घटनादि होना, उनकी पुनरावृत्ति होना.
8. *मांगलिक कार्यों में विघ्न*: मांगलिक कार्यों में विघ्न होना.
9. *प्रेत-बाधा*: परिवार के सदस्यों में किसी को प्रेत-बाधा होना.
10. *तनाव और कलेश*: घर में हमेशा तनाव और कलेश रहना.
पितृदोष के कारण
1. *पितरों का विधिवत् संस्कार न होना*: पितरों का विधिवत् संस्कार, श्राद्ध न होना.
2. *पितरों की विस्मृति या अपमान*: पितरों की विस्मृति या अपमान.
3. *धर्म विरुद्ध आचरण*: धर्म विरुद्ध आचरण.
4. *वृक्ष, फल लदे, पीपल, वट इत्यादि कटवाना*: वृक्ष, फल लदे, पीपल, वट इत्यादि कटवाना.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-