दुनियाभर में छाया है- वागड़ का मार्केटिंग फंडा.... किदा, दिदा, लिदा!

दुनियाभर में छाया है- वागड़ का मार्केटिंग फंडा.... किदा, दिदा, लिदा!

प्रेषित समय :19:21:00 PM / Sun, Jul 13th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

प्रदीप द्विवेदी
सत्तर के दशक में जब खाना पकाने के लिए चूल्हे की लकड़ियां- 'भारी' बेची जाती, तो कोई मोल-भाव नहीं होता, ऐसे कहा जाता.... भारी के लिए, किदा- 5 रुपया, दिदा 3 रुपया, ने लिदा 2 रुपया, मतलब.... लकडियों की कहने की कीमत 5 रुपया, देने की कीमत 3 रुपया और लेंगे (कैशबैक 1 रुपये के बाद) 2 रुपया.
आजकल ऑन लाइन खरीदारी में यही मार्केटिंग फंडा चल रहा है- एमआरपी 100 रुपए, छूट 75 प्रतिशत के बाद 25 रुपए में और 5 रुपए कैशबैक.
इसी तरह जामुन की भी ऐसी ही मार्केटिंग थी, जब सवेरे मार्केट में बेचने आते तब 5 पैसे का एक दौना और जब शाम को जाते, तब एक के साथ एक फ्री.
आजकल जब किसी सामान की एक्सपायरी डेट करीब आती है, तो एक के साथ एक फ्री की स्कीम दे दी जाती है!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-