सनातन धर्म में शिव की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है. भगवान शिव की आराधना में प्रयुक्त बेल पत्र और बेल वृक्ष का विशेष स्थान है. साथ ही शिव पुराण में यह भी वर्णित है कि भगवान शिव को कौन-कौन सी वस्तुएँ चढ़ाने से कौन-कौन से फल प्राप्त होते हैं. यहाँ बेल वृक्ष से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य और शिवजी की पूजा में प्रयुक्त वस्तुओं के लाभ दिए गए हैं.
बेल पत्र और बेल वृक्ष के पूजन से लाभ
बेल वृक्ष के आसपास साँप नहीं आते.
यदि किसी की शव यात्रा बेल वृक्ष की छाया से होकर गुजरे, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
वायुमंडल की अशुद्धियों को सोखने की सबसे अधिक क्षमता बेल वृक्ष में होती है.
चार, पाँच, छह या सात पत्तों वाला बेल पत्र परम सौभाग्यशाली होता है. इसे शिव को अर्पित करने से अनंत गुना पुण्य प्राप्त होता है.
बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है, जबकि इसे लगाने से वंश की वृद्धि होती है.
प्रातः और सायं बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है.
बेल वृक्ष को जल अर्पित करने से पितरों की तृप्ति होती है.
बेल वृक्ष और सफेद आक को साथ में लगाने से अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.
बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष योग से प्राचीन ऋषि-मुनि स्वर्ण धातु का निर्माण करते थे.
जीवन में यदि भूलवश भी एक बार शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया जाए, तो सभी पापों से मुक्ति मिलती है.
बेल वृक्ष का रोपण, पालन और संवर्धन करने से शिव के साक्षात्कार का योग बनता है.
नोट: बेल पत्र के लिए पेड़ को क्षति न पहुँचाएँ और उसका संरक्षण करें.
भगवान शिव को अर्पित की जाने वाली वस्तुएँ और उनके लाभ
अनाज चढ़ाने के लाभ (पूजन के बाद अन्न को गरीबों में वितरित करना चाहिए):
चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है.
तिल चढ़ाने से पापों का नाश होता है.
जौ चढ़ाने से सुख में वृद्धि होती है.
गेहूँ चढ़ाने से संतान की प्राप्ति होती है.
द्रव्य (तरल पदार्थ) चढ़ाने से होने वाले लाभ
जलधारा चढ़ाने से बुखार से राहत मिलती है; यह संतान और सुख वृद्धि के लिए भी उत्तम है.
शुद्ध घी से अभिषेक करने पर नपुंसकता दूर होती है; साथ में सोमवार का व्रत और ब्राह्मण भोज आवश्यक है.
शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर बुद्धि तीव्र होती है.
सुगंधित तेल से अभिषेक करने पर समृद्धि आती है.
गन्ने के रस से शिव का अभिषेक करने पर सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है.
गंगाजल चढ़ाने से भोग और मोक्ष दोनों मिलते हैं.
शहद से अभिषेक करने से टीबी (राजयक्ष्मा) रोग में आराम मिलता है.
फूल चढ़ाने से प्राप्त होने वाले फल
लाल और सफेद आक के फूल से पूजन करने पर भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
चमेली के फूल से वाहन सुख मिलता है.
अलसी के फूल से पूजन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है.
शमी पत्रों से पूजन करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है.
बेला के फूल चढ़ाने से सुंदर और सुशील पत्नी की प्राप्ति होती है.
जूही के फूल से पूजन करने पर घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती.
कनेर के फूल से पूजन करने पर नए वस्त्र प्राप्त होते हैं.
हरसिंगार के फूलों से सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है.
धतूरे के फूल चढ़ाने से सुयोग्य पुत्र की प्राप्ति होती है.
लाल डंठल वाला धतूरा पूजन में अत्यंत शुभ माना गया है.
दूर्वा चढ़ाने से आयु में वृद्धि होती है.
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