चंडीगढ़. पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी को लेकर राज्यभर के किसानों में उत्साह का माहौल है. जहां एक ओर विपक्ष हताशा में इस योजना को लेकर झूठ फैला रहा है और विरोध कर रहा है. इस पॉलिसी के कारण बिल्डर लॉबी में जबरदस्त घबराहट है, क्योंकि पंजाब सरकार के अर्बन डेवलपमेंट प्लान की वजह से अब शहरों में वर्ल्ड क्लास सेक्टर विकसित किए जाएंगे. वहीं दूसरी ओर ज़मीन देने वाले किसान इस स्कीम को फायदे की डील बता रहे हैं.
किसानों का कहना है कि यह पहली बार हुआ है जब बिना जमीन अधिग्रहण के लिए उन्हें शहरी विकास योजनाओं में सीधी हिस्सेदारी मिल रही है. यही वजह है कि पटियाला, मोहाली, लुधियाना, अमृतसर, मानसा, फिरोजपुर जैसे जिलों में हजारों किसानों ने अपनी जमीन सरकार को खुद देने पर सहमति दी है.
किसानों को ये फायदा
स योजना के तहत किसान अपनी मर्जी से अपनी जमीन सरकार को देते हैं और बदले में उन्हें विकसित शहरी एस्टेट्स में रिहायशी और कमर्शियल प्लॉट मिलते हैं. सरकार ने एक एकड़ ज़मीन देने पर 1000 गज के रिहायशी प्लॉट और 200 गज का एससीओ कमर्शियल प्लॉट मिलेगा. इन प्लॉट्स को किसान न केवल किसी भी समय बेच सकते हैं बल्कि स्वयं हाउसिंग प्रोजेक्ट या मार्केट कॉम्प्लेक्स बनाकर भी मुनाफा कमा सकते हैं. इससे न सिर्फ किसानों की आय के नए रास्ते खुल रहे हैं बल्कि उन्हें रियल एस्टेट में सीधी भागीदारी भी मिल रही है. साथ ही प्रॉपर्टी डीलर एजेंट के चक्कर में कहीं कमीशन भी नहीं देना पड़ेगा.
क्या कहते हैं किसान?
पटियाला के किसान राजेंद्र कुमार ने बताया कि सरकार से उन्हें किसी तरह का दबाव नहीं है और उन्होंने अपनी मर्जी से ज़मीन दी है. उन्होंने कहा कि यह नीति किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है क्योंकि इससे उनकी ज़मीन की वैल्यू बढ़ेगी और उन्हें स्थायी आर्थिक सुरक्षा भी मिलेगी. एक अन्य किसान ने बताया कि उन्होंने 9 एकड़ ज़मीन दी है और बदले में उन्हें करोड़ों रुपये की वैल्यू वाले प्लॉट मिले हैं. उनका कहना है कि अगर यही ज़मीन वे निजी बिल्डर को बेचते तो शायद न इतनी कीमत मिलती, एजेंट के चक्कर में काफी पैसा कमीशनखोरी में चला जाता और विकास का पूरा फायदा भी नहीं मिलता था.
पटियाला में पहले हफ्ते में किसानों ने 150 एकड़ और मोहाली में भी 50 से अधिक किसानों ने अपनी ज़मीन सरकार को देने की सहमति दी है. अमृतसर, मोगा, संगरूर, जालंधर, नवांशहर, होशियारपुर, तरनतारन, फाजिल्का, कपूरथला और बठिंडा जैसे जिलों में भी किसानों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है.किसान अब खुद को सिर्फ ज़मीनदाता नहीं बल्कि विकास परियोजनाओं का साझेदार मान रहे हैं.
अधिग्रहण जैसा कोई पक्ष नहीं
उधर, एक एनआरआई बेटे के पिता ने बताया कि बिल्डर लॉबी और झूठी राजनीति के कारण ही पहले सेक्टरों को सही तरीके से डेवलप नहीं किया गया, जिसके कारण सीवर जाम की समस्या से परेशान रहते हैं. लेकिन सरकार की इस पॉलिसी के कारण अब सेक्टर वर्ल्ड क्लास पैरामीटर और आम जन की सुविधा अनुसार विकसित की जाएंगे. जिससे उनके एनआरआई बेटा को भी अब यहां रहने में कोई परेशान नहीं होगी. इस योजना की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें अधिग्रहण जैसा कोई पक्ष नहीं है, जिससे किसानों को मजबूरी में कम कीमत पर जमीन बेचने की नौबत नहीं आती. अब वे न केवल विकास की योजना में शामिल हैं, बल्कि उन्हें उसका वास्तविक फायदा भी मिल रहा है. खेती जारी रखते हुए भी वे प्रॉपर्टी आधारित स्थायी इनकम के विकल्प चुन सकते हैं. किसानों का यह भी कहना है कि पहले निजी बिल्डर या दलाल उनकी ज़मीन सस्ते में खरीदकर करोड़ों में बेचते थे. अब वही किसान अपने हिस्से का प्लॉट खुद बेचकर या डेवलप कर उतना ही मुनाफा कमा सकते हैं. इससे पारदर्शिता भी आई है और मालिकाना हक का भाव भी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

