भारत के उत्तरी छोर पर बसा छितकुल, हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित एक छोटा, शांत और सुरम्य गाँव है, जिसे अक्सर "भारत का अंतिम बसा हुआ गाँव" कहा जाता है. यह गाँव भारत-तिब्बत सीमा के पास स्थित है और रणनीतिक व सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. हाल ही में यह गाँव सोशल मीडिया पर वायरल हुई सुंदर तस्वीरों के चलते पर्यटकों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हो गया है. लेकिन छितकुल केवल सुंदरता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका इतिहास, धार्मिक मान्यताएँ और पारंपरिक संस्कृति भी इसे एक विशेष पहचान प्रदान करते हैं.
1. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि
छितकुल का इतिहास किन्नौर जिले के समृद्ध अतीत से जुड़ा हुआ है. यह गाँव प्राचीन भारत-तिब्बत व्यापार मार्ग का हिस्सा रहा है, जो भारतीय व्यापारियों को तिब्बती पठारों से जोड़ता था.
यहाँ के लोगों की जीवनशैली और वेशभूषा में आज भी तिब्बती और हिमाचली संस्कृति का सुंदर मिश्रण देखा जा सकता है.
धार्मिक रूप से छितकुल क्षेत्र में बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म दोनों का प्रभाव है. ऊपरी किन्नौर में बौद्ध परंपराएँ प्रबल हैं जबकि निचले क्षेत्रों में हिंदू संस्कृति की जड़ें गहरी हैं.
2. किंवदंती और धार्मिक मान्यता
छितकुल एक पवित्र किंवदंती से भी जुड़ा है. कहा जाता है कि भगवान बद्रीनाथ की पत्नी 'माथी देवी' वृंदावन से गढ़वाल, सिरमौर और बुशहर के सराहन होते हुए बरुआखाड़ तक पहुँचीं. बरुआखाड़ से आगे बढ़ते हुए उन्होंने भूमि को सात भागों में विभाजित होते देखा और तब छितकुल के निकट अपना वास बनाया. यहाँ माथी देवी का मंदिर आज भी स्थानीय आस्था का केंद्र है.
3. प्रशासनिक इतिहास
आज का किन्नौर जिला पहले महासू जिले की तहसील हुआ करता था.
1 मई 1960 को इसे स्वतंत्र जिला घोषित किया गया.
स्वतंत्रता से पहले, यह क्षेत्र पूर्वी बुशहर रियासत का हिस्सा था, जिसकी छाप यहाँ की संस्कृति और स्थापत्य में आज भी देखी जा सकती है.
4. यात्रा कैसे करें और क्या देखें?
कैसे पहुंचें
सड़क मार्ग: शिमला से रिकांग पिओ और कल्पा होते हुए छितकुल तक पहुँचा जा सकता है (दिल्ली से कुल दूरी लगभग 600 किमी).
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा शिमला या भुंतर (कुल्लू) है.
रेल मार्ग: कालका स्टेशन तक ट्रेन और वहाँ से सड़क मार्ग द्वारारुकने की सुविधा
छितकुल में साधारण होमस्टे, लकड़ी के बने गेस्टहाउस, और कुछ छोटे होटल उपलब्ध हैं.
कल्पा या सांगला में बेहतर होटल विकल्प मिल सकते हैं.
घूमने लायक जगहें
स्थान विशेषता
बास्पा नदी तट शांत जल, सफेद पत्थर और हरे-भरे दृश्य फोटोग्राफरों के लिए स्वर्ग.
माथी देवी मंदिर पौराणिक महत्व और लोकमान्यता से जुड़ा.
लकड़ी की पारंपरिक झोपड़ियाँ हिमाचली वास्तुकला का जीवित उदाहरण.
सांगला घाटी और रक्छम गाँव आसपास की पहाड़ियों और ट्रेकिंग रूट्स के लिए प्रसिद्ध.
5. जरूरी सुझाव
यात्रा का श्रेष्ठ समय: मई–जून और सितंबर–अक्टूबर.
नेटवर्क सीमित होता है, बीएसएनएल का नेटवर्क मुख्य रूप से कार्य करता है.
सर्दियों में बर्फबारी तीव्र होती है, पर्याप्त ऊनी वस्त्र और जरूरी दवाएँ साथ रखें.
छितकुल न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का धनी गाँव है, बल्कि यह इतिहास, धर्म और संस्कृति का अद्भुत संगम भी है. सोशल मीडिया ने भले इसकी सुंदरता को उजागर किया हो, लेकिन यह गाँव उन यात्रियों के लिए है जो भीड़ से दूर, आत्मा को छू लेने वाला अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं. यदि आप सच में भारत के हृदय को देखना और समझना चाहते हैं, तो छितकुल एक बार ज़रूर जाएँ.
नोट: यात्रा पर निकलने से पहले मौसम की जानकारी अवश्य लें और पर्यावरण की रक्षा के प्रति सजग रहें.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-



