इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने दो साल के लंबे इंतजार के बाद टेस्ट क्रिकेट में शतक लगाकर क्रिकेट प्रेमियों को चौंका दिया. लेकिन जिस तरह से भारतीय टीम की बल्लेबाजी बिना चेतावनी के अचानक ढह गई, उसने मुकाबले का रुख ही पलट दिया. यह मुकाबला सिर्फ रन और विकेट का नहीं, बल्कि धैर्य, रणनीति और मनोबल की परीक्षा बन गया.
दो साल बाद चमका स्टोक्स का बल्ला
लॉर्ड्स टेस्ट में जब बेन स्टोक्स बल्लेबाजी के लिए उतरे तो इंग्लैंड एक संघर्षरत स्थिति में था. लेकिन उन्होंने 117 रन की दमदार पारी खेलते हुए यह जता दिया कि वह अब भी टेस्ट क्रिकेट के बड़े मंच पर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. यह शतक 2022 के बाद उनका पहला था, और इसकी टाइमिंग भी बिल्कुल सटीक रही—जब टीम को उसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत थी.
स्टोक्स ने अपने ट्रेडमार्क अंदाज़ में—आक्रामक लेकिन नियंत्रित तरीके से—खेलते हुए भारत के गेंदबाज़ों को दबाव में डाला. उन्होंने खासकर स्पिन के खिलाफ लंबा टिककर बल्लेबाजी की और तेज़ गेंदबाज़ों के खिलाफ मौके लेकर रन बटोरे.
भारत का आश्चर्यजनक पतन
लेकिन इस मुकाबले में असली ड्रामा तब शुरू हुआ जब भारत की दूसरी पारी शुरू हुई. पहले ही ओवर से ऐसा लगा मानो पिच ने मिज़ाज बदल लिया हो या बल्लेबाज़ों का आत्मविश्वास कहीं छूट गया हो. लगातार दो ओवरों में भारत ने बिना रन बनाए दो विकेट गंवा दिए. शुभमन गिल और चेतेश्वर पुजारा जैसे तकनीकी बल्लेबाज़ भी असहाय दिखे.
इंग्लैंड के जेमी स्मिथ और ओली रॉबिन्सन ने बेहतरीन लाइन-लेंथ और स्विंग के दम पर भारत को बांध दिया. कुछ ही ओवरों में भारत का स्कोर 50 के नीचे तीन विकेट पर पहुँच गया, जिससे ड्रेसिंग रूम में हड़कंप मच गया.
मनोवैज्ञानिक बढ़त का खेल
इस मुकाबले में केवल तकनीक ही नहीं, मनोबल भी निर्णायक फैक्टर बन गया. स्टोक्स का शतक सिर्फ स्कोरबोर्ड पर नहीं, बल्कि भारतीय टीम की सोच पर भी असर डाल गया. जिस आत्मविश्वास से भारत पहले दिन खेल रहा था, वह अचानक दूसरे दिन बिखरता नजर आया.
स्टोक्स ने पारी के बाद कहा, “मैंने लंबे समय से इस पल का इंतजार किया था. यह सिर्फ मेरे लिए नहीं, टीम के लिए भी बहुत ज़रूरी था." उनकी यह बात टीम की रणनीति और उनके नेतृत्व की परिपक्वता को दर्शाती है.
अगले दिन की चुनौती
अब सवाल यह है कि क्या भारत इस झटके से उबर पाएगा? कप्तान रोहित शर्मा पर एक बार फिर बड़ी पारी का दबाव होगा, वहीं निचले क्रम के बल्लेबाज़ों को विकेट पर टिककर खेल दिखाना होगा. दूसरी तरफ, इंग्लैंड अब इस मानसिक बढ़त को भुनाने की कोशिश करेगा.
यह टेस्ट मुकाबला हमें एक बार फिर यह याद दिलाता है कि टेस्ट क्रिकेट अभी भी सबसे चुनौतीपूर्ण और अनिश्चित फॉर्मेट है. एक सत्र में कुछ विकेट और कुछ रन पूरी तस्वीर बदल सकते हैं.
बेन स्टोक्स का शतक एक व्यक्तिगत उपलब्धि भर नहीं था—यह एक टीम का मोमेंटम शिफ्ट था. और भारत की गिरावट उसी का नतीजा.
अब देखना यह है कि क्या भारत वापसी कर सकेगा, या फिर इंग्लैंड अपनी जीत की कहानी लिखेगा.

