ओटीटी प्लेटफॉर्म Jio Hotstar पर 25 जुलाई को रिलीज हुई फिल्म Sarzameen दर्शकों के बीच उत्सुकता का विषय बनी, लेकिन इसका प्रभाव जल्दी ही फीका पड़ गया जब फिल्म रिलीज के कुछ घंटों के भीतर ही पायरेसी साइट्स पर लीक हो गई. काजोल, पृथ्वीराज सुकुमारन और इब्राहिम अली खान जैसे सितारों से सजी इस युद्ध-आधारित भावनात्मक ड्रामा को लेकर काफी उम्मीदें थीं. फिल्म एक भारतीय सैनिक, उसके बेटे और पत्नी के बीच रिश्तों और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य की टकराहट को दिखाती है, लेकिन इसकी पटकथा और निर्देशन दर्शकों को बांध नहीं पाए.
काजोल एक माँ की भूमिका में दर्शकों के दिल को छूने में सफल रहीं. पृथ्वीराज ने अपने किरदार को गंभीरता से निभाया और एक सख्त पर भावनात्मक रूप से परेशान सैन्य अधिकारी का चेहरा सामने रखा. दूसरी ओर, इब्राहिम अली खान के प्रदर्शन को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आईं. कई दर्शकों ने उन्हें उनके पहले प्रयास से बेहतर बताया, जबकि कुछ का मानना था कि वह अब भी कैमरे के सामने सहज नहीं हो पाए हैं.
फिल्म की तकनीकी बनावट और भावनात्मक गहराई में स्पष्ट अंतर दिखा. आलोचकों ने इसे एक ऐसी फिल्म बताया जिसमें मुद्दा तो बड़ा था लेकिन उसकी प्रस्तुति अधूरी रही. Mint की समीक्षा के अनुसार, कहानी में पूर्वानुमेयता ज्यादा थी और पटकथा कई जगहों पर खिंचती नजर आई. संवाद और दृश्य उस तीव्रता को नहीं ला सके जो कश्मीर जैसे संवेदनशील विषय की मांग करते हैं. सिनेमैटोग्राफी भले ही खूबसूरत रही हो, लेकिन पृष्ठभूमि संगीत फिल्म की कमजोरी बन गया.
सबसे बड़ा आघात फिल्म को तब लगा जब इसकी रिलीज के कुछ ही समय में लीकिंग की खबरें सामने आने लगीं. यह न केवल निर्माता और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए चिंता का विषय बना, बल्कि यह इस बात का संकेत भी है कि भारत में डिजिटल कंटेंट की सुरक्षा अब भी बड़ी चुनौती है. पायरेसी के चलते न केवल व्यावसायिक नुकसान हुआ, बल्कि दर्शकों के बीच फिल्म को लेकर ताजगी और जिज्ञासा भी प्रभावित हुई.
सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रहीं. कई दर्शकों ने कहा कि काजोल और पृथ्वीराज के अभिनय के बावजूद फिल्म उन्हें बांध नहीं पाई. वहीं कुछ यूज़र्स ने इसे एक भावुक लेकिन कमजोर प्रयास बताया. एक दर्शक ने ट्विटर पर लिखा कि फिल्म में कश्मीर की खूबसूरती और युद्ध के भाव तो दिखे, लेकिन कहानी और निर्देशन उसे प्रभावशाली नहीं बना सके.
Sarzameen एक ऐसी फिल्म बनकर रह गई है जो बड़े विषयों और भावनाओं के बावजूद पूरी तरह असर नहीं छोड़ पाई. पायरेसी ने इसकी संभावनाओं को और भी कमज़ोर किया है. ओटीटी की इस प्रतिस्पर्धा में जहां कंटेंट ही असली हथियार है, वहां कमजोर पटकथा और लीकिंग जैसी घटनाएं किसी भी फिल्म को मैदान से बाहर कर सकती हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

